कर्मफल दाता हैं शनिदेव

शनिवार का दिन भगवान शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को कर्मफल दाता और न्याय के देवता भी कहा जाता है। शनिवार के दिन शनिदेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। वहीं जातक विशेष कार्य में सिद्धि पाने के लिए शनिवार को व्रत भी करते हैं। धार्मिक शास्त्रों में निहित है कि अच्छे कर्म करने वाले जातक को शनि देव शुभ फल देते हैं और बुरे कर्म करने वाले को दंडित करते हैं।

शनिदेव को कर्मफल दाता माना जाता है। हिंदू धर्म में शनि ग्रह और शनिदेव को न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि की उपासना से व्यक्ति के पापों का नाश और पुण्य का वर्धन होता है। शनि का यह सिद्धांत है कि जीवन में हर फल, चाहे वह सुख हो या दुख, हमारी कर्मों का परिणाम होता है। इसलिए शनि देव के दर्शन से यह संदेश मिलता है कि हमें अपने कर्मों पर ध्यान देना चाहिए और अच्छे कार्यों की ओर बढ़ना चाहिए।

कहा जाता है कि शनि देव किसी व्यक्ति के कर्मों का मूल्यांकन करते हैं और उसी के अनुसार उसे फल प्रदान करते हैं। यदि किसी व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए हैं, तो शनि देव उसे शुभ फल देते हैं, जबकि बुरे कर्मों के परिणामस्वरूप व्यक्ति को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए शनि देव को न्यायप्रिय और कष्टों को समाप्त करने वाला माना जाता है। शनिवार को शनिदेव की पूजा-अर्चना करने के साथ ही शनि चालीसा का भी पाठ करना चाहिए। इससे जातक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

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