अनूप गुप्ता
बाबा के काले कारनामे देखकर लगता है कि कोठा शब्द बाबा के आश्रम के लिए ही बना है। उसके आश्रम में पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों के अलावा न्यायाधीशों की भी गाड़ियां घुसते हुए देखी जा सकती हैं। यह बाबा एक योगी नहीं, बल्कि भोगी है और बलात्कारी है, जैसा कि पत्र में उल्लेख किया गया है। बाबा पर लगे आरोपों का मामला बहुत ही संगीन व गंभीर है।
नारी, नारी है, चाहे वह देश की हो या विदेश की। धर्मशास्त्रों में उसको पूज्यनीय और सम्माननीय बताया गया है। नारी देह और उसकी अस्मिता पर संकट की दशा में न्यायपालिका का भी साफ कहना है कि उसकी पहचान हमेशा छिपाई जानी चाहिए। बाबा योगी सत्यम के आश्रम के आसपास के इलाके में यह आवाज अर्से से उठती रही है कि यह योग का आश्रम नहीं, बल्कि भोग का अड्डा है, जिसकी पुष्टि वर्षों से बाबा के आश्रम में रह रही दो विदेशी महिलाओं ने भारत के राष्ट्रीय महिला आयोग को लिखित शिकायत देकर की है। सत्यम के इस क्रूर चेहरे को उसके पड़ोसी भी अच्छी तरह से जानते हैं और कई बार उन्होंने पुलिस से शिकायत भी की है, पर सत्ता, शासन और प्रशासन की क्या मजबूरी है, जो आज तक बाबा सत्यम के गिरेबान पर हाथ डालने से बचती रही है। झूसी की सरकारी व गैरसरकारी जमीनों पर कब्जा कर बनाए गए इस आश्रम का कोठे के रूप में उल्लेख किया जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
बाबा के काले कारनामे देखकर लगता है कि कोठा शब्द बाबा के आश्रम के लिए ही बना है। उसके आश्रम में पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों के अलावा न्यायाधीशों की भी गाड़ियां घुसते हुए देखी जा सकती हैं। यह बाबा एक योगी नहीं, बल्कि भोगी है और बलात्कारी है, जैसा कि पत्र में उल्लेख किया गया है। बाबा पर लगे आरोपों का मामला बहुत ही संगीन व गंभीर है। इसकी ठीक से जांच के बाद कार्रवाई कर एक नजीर स्थापित की जानी चाहिए कि भारत का कानून सभी के साथ खड़ा है और सभी के लिए बराबर है, फिर पीड़ित चाहे देश का नागरिक हो या विदेश का।
सचमुच के सनातनी परंपरा के संतों का दौर दशकों से अवसान की ओर है। यहां के हालात के मद्देनजर वे तेजी से गोलोक में अपने ठिकाने बनाने में जुटे हुए हैं, क्योंकि मार्केट में नए बाबा हर साल तेजी से लांच हो रहे हैं, जिनका न शास्त्र से कोई लेना-देना है और न ही सनातन परंपरा से। कोई सिपाही से बर्खास्तगी के बाद बाबा बनकर प्रवचन देने में जुटा है तो कोई सरकारी बाबू से बाबा बनकर प्रवचन फेंके जा रहा है कि सब मिथ्या है, सब नश्वर है, सिर्फ ईश्वर है, वह तुममे भी है, उसे पहचानो, उससे मिलो, उससे बातें करो, धन-दौलत सब यहीं पर रह जाएगा, कोई लेकर नहीं जाता इसलिए उसे दोनों हाथों से खूब दान करो। किसको, प्रवचनकर्ता यानी कि अपने गुरु को। गुरु पूर्णिमा को अब वे एक मार्केटिंग के हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। यह होट इवेंट बन चुका है। इसके एक दिन पहले ही हर साल कहीं आने जाने का कार्यक्रम बनाने से लोग बचने लगे हैं क्योंकि रक्षाबंधन के दिन फ्री बस यात्रा जैसा हाल होता जा रहा है।
चूंकि समाज शास्त्र की किताबों में भीड़ हमेशा से ही अराजक कही जाती रही है तो वे ट्रेन के एसी बोगी में भी कब्जा कर ले रहे हैं। सोचने वाली बात है कि कोई भी बाबा अभी तक भीड़ को सफर के नियम तक नहीं सिखा सका है और न ही यह कहने का साहस कर सका है कि जो अपने माता-पिता को साथ नहीं रखते हैं या जो बुजुर्ग माता-पिता को रोटी नहीं दे रहे हैं व उनका सम्मान नहीं करते हैं, वे हाथ उठाएं और सम्मान इसी में है कि वे पंडाल के बाहर चले जाएं। वे बस अपने सेवादारों के जरिए गरीबों और निरक्षरों की भीड को बेवकूफ बनाने का खेल खेल रहे हैं। भीड भी उमडे क्यों न? आबादी बढाने की खुली आजादी के कारण अपराध भी बढ़ रहे हैं तो बेकारी भी। उसी का फायदा उठाने के लिए बढ़ रहे हैं बाबा भी। प्रवचन में ज्यादा भीड़ उमड़ना सही नहीं है और न ही यह कोई खुद को सबसे बड़े बाबा साबित करने का पैमाना है, क्योंकि अब यह देश दुनिया में नंबर बन है आबादी के मामले में। जरा सी असावधानी में हादसे हो रहे हैं। लोग असमय ही काल के गाल में समा रहे हैं। 100-200 लाठीधारी सेवादारों के दम पर लाख-दो लाख की भीड़ कैसी संभाली जा सकती है। भक्तों को परेशानी से बचाने पर किसी भी बाबा का फोकस नहीं है। अनपढ भीड को वह अपनी शान से जोड़कर देख रहे हैं और पब्लिक है कि मानती नहीं, जिसमें धैर्य की कमी हो गई है और वह सब कुछ बाबा के माध्यम से जल्दी पा लेना चाहती है, जो उसके पडोसी व रिश्दातेरों के पास है।
हाल ही में हाथरस में देखने में आया कि ‘मेरी चरण रज ले लो’ यानी कि सिर्फ पांच शब्दों ने करीब 500 लोगों को घायल कर दिया तो करीब डेढ़ सौ लोगों की जान ले ली। उसके बाद से स्वयंभू भगवान भूमिगत हो गए। भीड तो देश के सभी कथावाचकों के यहां भी खूब उमड़ रही है, लेकिन सनातन परंपरा देवरहा बाबा, हनुमान जी के अवतार कहे जाने वाले नीम करौली बाबा व शोभन सरकार और करपात्री जी महाराज के बाद विलुप्त होती जा रही है। शंकराचार्यों और अखाड़ों तक तो अभी गनीमत है। हालांकि वहां भी अब गुट दिखने लगे हैं। अतीत में कई संत, अघोरी और हठयोगी हुए हैं, जो हवा में अदृष्य हो जाते थे और उड़ते थे। नाना राव पेशवा के बारे में भी कहा जाता है कि अंग्रेजों के पीछा करने पर बिदूर के पास टूटा घाट से सतह पर चलकर उफनाई हुई गंगा पार कर गए तो यह देखकर अंग्रेजों को पसीना आ गया था। गरिया स्वामी, ठठिया वाले बाबा व काशी के भी संत ऐसे ही चमत्कारों के लिए मशहूर हुए हैं। बताते हैं कि देवरहा बाबा 900 वर्ष जीवित रहे, वह भी पानी पर चलते थे। उनके शिष्य महामना मदन मोहन मालवीय, राजेंद्र प्रसाद, पं. जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और इंदिरा गांधी जैसे लोग थे। नीम करौली बाबा के शिष्यों में सैकड़ों नामचीन भारतीयों के अलावा एप्पल व फेसबुक के संस्थापक स्टीव जॉब्स और मार्क जुकरबर्ग भी शामिल हैं।
चंद्रास्वामी का शिष्य तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को कहा जाता था तो पूर्व ब्रिटिश प्रीमियर मार्गेट थैचर और कई देषों के राष्ट्रध्यक्षों को भी। अब पुरानी बातें और परिभाषाएं दिन पर दिन उलटती चली जा रही हैं। सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है, के बजाय यह दौर दूसरा है। चमत्कार को नमस्कार तक तो बात समझ में आती है, पर अब भीड़ को नमस्कार हो रहा है। यहां तक भी ठीक मान लिया जाए तो फिर अगर कोई एक वर्ग सेंटीमीटर की फुंसी भी चमत्कार से आज के दौर में नहीं ठीक कर पा रहा है और सिर्फ चरण रज बांट रहा है तो फिर सवाल उठेगा और इसका आज नहीं तो कल जनता को जवाब भी देना होगा। ये पब्लिक है, सब जानती है, सिर पर बैठाती है तो जरूरत पड़ने पर सिर पर बैठकर नाचती भी है। साथ ही एक दिन जवाब भी मांगती है, जिस दिन पोल खोलने पर उतर आई, उस दिन रज छोडिए, चरण भी नहीं ढूंढे मिलेंगे। यह दौर घर, परिवार व मायारूपी संसार से विरक्ति होने पर सिर्फ प्रभु भक्ति के लिए बाबा बनने का नहीं है। तीर्थराज प्रयाग के सत्यम बाबा जैसे लोगों का है, जो ग्लैमर के लिए ही बाबा बने हैं। हवाई जहाज व कई करोड़ की कार से चलने वाले और करोडों में खेलने वाले बाबाओं का है। ऐसा लगता है कि ये बनावटी चोले की आड़ में ग्लैमर का सुख भोगने के लिए बाबा बने हैं।
पीछे के दृष्टांत बताते हैं कि गुरु के करोड़ों के कई आश्रमों पर कब्जा करने के लिए भी लोग शिष्य बने हैं। एक शिष्य ने अपने गुरु को इतना मजबूर कर दिया कि उन्हें आत्महत्या करनी पड़ी और शिष्या समेत खुद जेल की हवा खानी पड़ी। कुछ तो इतना मेकअप करके मंच पर आते हैं कि बाबा कहने से भी घिन आती है और कुछ शक्ल से ही गुंडे मवाली जैसे लगते हैं। कई ऐसे भी मामले पीछे पकड़ में आए हैं कि कत्ल करके दषकों से भागे हुए लोग गेरुआ वस्त्रों को बदनाम करने में लगे हैं। अहम है कि आज तक किसी बाबा को किसी करोड़पति को चौखट से भगाते नहीं देखा। हां, लाइन तोड़कर बैक डोर से अंदर जाते और प्रिविलेज हासिल करते कई बार जरूर देखा है। बाबा भली प्रकार से जानते हैं कि धनपशु की यह दौलत गलत तरीके से कमाई गई है, जिसका एक अंश आश्रम पर भी खर्च हो रहा है। इसके बावजूद उसका सम्मान करीब करीब हर बाबा की नजरों में बरकरार है। भोग विलास के इन हालात के ही कारण अधिकांश बाबाओं का विवादों से चोली-दामन का साथ रहा है।
शायद ही कोई ऐसा बचा हो, जिस पर दर्जन दो दर्जन आपराधिक केस न दर्ज हों। आज के दौर में यह सूची और लंबी होती जा रही है। बहुत पीछे न जाकर सिर्फ नारायण साईं से लेकर हाथरस वाले नारायण साकार (साक्षात) हरि को ही ले लेते हैं तो पाएंगे कि ये संत तो आचार-विचार और व्यवहार से बन नहीं पाए, बल्कि इनमें बहुत छटपटाहट और जल्दबाजी रही भगवान बनने की। अनुयायियों के मुंह से ये खुद को भगवान कहलवाकर भगवान बनने की कोशिश में जुट गए और फिर इसी के बाद से शुरू हो जाती है इनके पतन की कहानी। यह रोग ओशो रजनीश, आसाराम, नारायण, राम रहीम सिंह से लेकर राम पाल, राम वृक्ष यादव और हाथरस वाले स्वयंभू ‘हरि’ तक में देखने को मिला। कुछ तो खुद में इतने कन्फ्यूज हैं कि उन्हें यह भी नहीं पता कि श्री नारायण जी और हैं और श्री शंकर जी और। इनमें एक बात कामन है कि ये कम पढे-लिखे थे और शास्त्रों व जन कल्याण से इनका 36 का नाता था। हां, शास्त्रों के जरूर शौकीन थे। राम पाल, राम वृक्ष, राम रहीम और सूरज पाल के पास निजी सेना की बाततो खुलकर सामने आ चुकी है। त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा रहता था ताकि जो उनके बारे में सब जान चुके हैं, वे भी परिंदे की तरह न ‘पर’ मार सके और न चोंच। उधर, राम रहीम को यह जरूर सोचना चाहिए था कि जनता के पैसे से जनता के लिए ही फिल्म बना रहे हो तो हाथ उठाकर आशीष देने का ढोंग बंद करो या फिल्म बनाना। आसाराम व कन्हैया का स्वयंभू अवतार उनका लड़का नारायण साईं रासलीला रचाकर भगवान का नाम बदनाम करने की सजा भुगत रहे हैं कई साल से। इतने मामले एक के बाद एक खुलते चले गए कि अब शायद ही बाहर आ पाएं। ऐसा लगता है कि अब उनकी बची हुई भी सलाखों के ही पीछे कट जाएगी। साईं तो सिर में फूलों की माला गमछे की तरह लपेट कर पेड़ की डाल पर बैठकर बांसुरी बजाता था और कुछ जाहिल औरतें व लड़कियां उसके अगल-बगल में इस दौरान हिलती रहती थीं। हत्या, देशद्रोह व अदालत की अवमानना में राम पाल सलाखों के पीछे है तो राम वृक्ष की सेना ने एक एसपी व इंस्पेक्टर सहित 24 लोगों गोलीकांड में मारे गए थे 2016 में।
कान्हा की मथुरा को जलाने की कोशिश में हालांकि बाद में वह भी गैस सिलेंडर के विस्फोट में जल मरा था। निर्मल बाबा पर भी लखनऊ के गोमती नगर से लेकर मेरठ तक दर्जनों मामले दर्द हैं। यहां पर सड़क किनारे लिखी रहने वाली एक लाइन अनायास ही याद आ गई कि ‘जिन्हें जल्दी थी, वे चले गए’। इसके बावजूद बाबाओं का मार्केट हाई है क्योंकि जाहिल अनुयायी जिंदा हैं इसलिए हर साल मार्केट में नए-नए बाबा आते जा रहे हैं। खास बात यह है कि इन पर नकेल लगाने के लिए कोई नियमावली नहीं है। वे मनमानी पर उतारू हैं और अनुयायियों को ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे हैं। हर शहर में आश्रम बना लेना चाहते हैं। आश्रमों की चहारदीवारी में बेईमानी कर रहे हैं। निजी और सरकारी जमीनों पर कब्जे कर रहे हैं। अफसोस इस बात है कि नियम, कानून, शासन और पुलिस प्रशासन के जिंदा रहते हुए कोई गुंडा या बाबा इतना बड़ा कैसे हो जाता है कि उस पर हाथ डालने में सौ बार सोचना पड़े। मथुरा के राम वृक्ष यादव के मामले में मुंह की खा चुकी पुलिस हाथरस वाले दूध से नहाकर उसी का जाहिल भक्तों को प्रसाद बांटने वाले बाबा सूरज पाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा पर हाथ डालने में फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। बाबा लोग और गलत रास्ता न छोड़ने वाले अपराधी मानकर चल रहे हैं कि कानून की किताबें भी वही हैं और उनमें लिखे कानून भी वही हैं तो वे बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं।
बाबा लोग जिस प्रकार कानून को तलवे चाटने व चरणों में लेटने पर इतिहास में मजबूर करते रहे हैं और वे लोग, जो उसे जेब में लेकर चलते रहे हैं, जितनी जल्दी सुधर जाएं, उनके लिए उतना ही अच्छा रहेगा, क्योंकि अब देश और प्रदेश के पास ऐसे शासक हैं, जिन्हें कानून से खेल करने वालों से बहुत एलर्जी है। दूसरे ऐसे कानूनों को किताब से खुरच कर हटाने के बाद नई इबारत वाली किताब भी लिख देते हैं। अब यह सब नहीं चलेगा। उनकी पुरानी वाली सोच अंततः आत्मघाती ही साबित होगी। यह बात 2014 के बाद से लोगों को ठीक से समझ लेनी चाहिए।
अब भी लाइन में पीछे वालों के पास समय है कि आगे वालों से सबक लें, सुधर जाएं और ठीक से समझ लें कि यह सोच छोड़नी होगी कि हम कानून को अपने पैरों में झुका लेंगे पहले की तरह और यह भी कि ‘हम नहीं सुधरेंगे’ तो सुधारने के लिए उन कानूनों को भी लागू करने की ताकत इस सरकार में है, जो किताब में नहीं भी लिखे हैं। इसके विपरीत इन्होंने ठेका ले रखा है पूरे जगत को सुधारने का। कानून की किताबों की हेडिंग भी वही हैं, कवर भी वही हो सकते हैं, पर सत्ता के साथ शासक, समय व सोच बदली है, सो अब बाबाओं की भी भलाई खुद में बदलाव लाने में ही है, क्योंकि अब निष्प्रयोज्य कानूनों को किताबों से खुरच कर हटा दिया गया है। इन्हीं 10 साल को ले लें तो कम से कम 11 ठीक-ठाक बाबा जेल में भजन भोजन व निरोग रहने के लिए योग कर रहे हैं और उनके प्रवचन सुनने के लिए उनके साथ बंद कैदी भी नहीं तैयार हैं। उल्टे ताने अलग से सुबह-दोपहर शाम को खाने के समय सुनने को मिल रहे हैं। उधर, कुछ मूर्खी और जाहिलों के घरों में जेल में बंद बाबाओं की तस्वीरें आज भी मिल जाती हैं। इसी कड़ी में ओंटारियो, कनाडा की डॉ. जेना बेडेस्सी ने एक नया नाम जोड़ दिया है क्रिया योग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान नई झूसी, प्रयागराज के प्रमुख योगी सत्यम का।
उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय महिला आयोग को लिखे लंबे पत्र में बाबा द्वारा किए गए दुष्कर्म की कहानी समय और दिन के साथ बयां की है। उन्होंने बाबा के खिलाफ धारा 376 (बलात्कार), 384 (वसूली), 406 (विश्वासघात), 417 व 420 (धोखाधड़ी) और धारा 506 (धमकी) के आरोप में एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने बताया है कि 1982 में मेरे पिता डॉ. मैनवेल बेडेस्सी ने एक चैरिटेबल संस्था की स्थापना की, जिसे तब गोल्डन योगा स्पोर्ट्स सेंटर कहा जाता था। 1985 में इसे गोल्डन योगा इंक और बाद में 1998 में योग फेलोशिप टेंपल कहा गया। परमहंस योगानंद स्वामी की आत्म साक्षात्कार फेलोशिप की शिक्षाओं से प्रेरित यह संस्था कनाडा के घर के पते से रजिस्टर्ड है। संस्था साप्ताहिक संगोष्ठी व ध्यान कक्षाओं का आयोजन करती है। डॉ. मैनवेल 2005 तक अध्यक्ष थे। 2008 में निधन के पहले इस्तीफे के बाद बेडेरसी ने पदभार संभाला था। आरोपी बाबा की संस्था क्रिया योग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान हमारी संस्था के उद्देश्यों व आत्त्म-साक्षात्कार फेलोशिप और योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया के अनुरूप थी, लिहाजा पिता ने बाबा को 1995 में व्याख्यान के लिए कनाडा आमंत्रित किया। उसके बाद से हर साल कक्षाएं दोनों देशों में लगाई जाती थीं। इस दौरान आना-जाना लगा रहा। उसने विश्वास दिलाया कि वह परमहंस का पुनर्जन्म है और उनकी शिक्षाओं का प्रचार प्रसार करता है। पिता ने उसको हमारे गुरु और आध्यात्मिक शिक्षक का दर्जा दिया और फिर वह संस्था के संचालन में मदद करने लगा।
उन्होंने आरोपी की कई कनाडा यात्रा के प्रमाणों की प्रतियां भी संलग्न की हैं। उधर, धीरे-धीरे पति से रिश्ता कमजोर होता गया और फिर टूट गया। आरोपी ने फोन पर भरोसा देकर 2001 में आश्रम में आने के लिए कहा व आश्वासन दिया कि वह गुरु के रूप में देखभाल करेंगे। जनवरी 2002 में पहुंची तो लगभग एक महीने आश्रम में रही। इसके बाद उसने संन्यासी बनने और आश्रम में सेवा करने के लिए प्रेरित किया, जबकि वह परिवार के करीब रहना चाहती थीं, पर आरोपी दूर रखना चाहता था। उसने क्रिया योग टूर के दौरान 2002 में साथ चलने के लिए कहा।
इस दौरान उसने पूर्व जन्म का साथी बताकर ‘आध्यात्मिक रूप से चार्ज’ करने के बहाने यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। 2002 में ही अमेरिका के दौरे के दौरान डार्टमाउथ, मैसाचुसेट्स और इंडियाना में कई बार यौन शोषण किया। वह यौन संबंध के तुरंत बाद ध्यान व श्वास के अभ्यास के लिए कहता ताकि विश्वास हो सके कि यौन क्रिया से आध्यात्मिक लाभ हो रहा है। उसने भरोसा दिलाया कि यौन क्रियाएं आध्यात्मिक हैं। आश्रम प्रवास के दौरान रोज कई बार यौन शोषण किया। आनुष्ठानिक व आध्यात्मिक प्रशिक्षण के नाम पर वह यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता रहा। 2002 के अंत से 2003 की शुरुआत तक, देवरिया और लखनऊ के ध्यान कार्यक्रम के दौरान भी कई बार संबंध बनाए। विशेष ध्यान प्रशिक्षण के लिए वह निजी कमरे में बुलाता था और आध्यात्मिक मजबूती के लिए यौन संबंध बनाता था। 2003 की शुरुआत में ही संन्यासी बन गई और उसने नाम रखा तारा माता। क्रियायोग पर व्याख्यान के लिए उत्तरी अमेरिका ले गया और बार-बार यौन शोषण किया, जिससे मई 2003 में गर्भवती हो गई। उसने भारत लौटने और गर्भपात के लिए कहा। इससे इंकार कर मैंने यूएस दौरा छोड़कर कनाडा में माता-पिता के साथ रहने की अनुमति मांगी। उसने सभी अनुरोध खारिज कर दिए। वाशिंगटन डीसी में रहते हुए रक्तस्राव हुआ तो चिकित्सा लेने से भी रोका। पिता, जो कि प्रसूति चिकित्सक थे, वह भी वाशिंगटन आ गए। उन्होंने देखभाल के लिए कनाडा लौटने को कहा। आरोपी के प्रभाव के कारण पिता के अनुरोध को भी खारिज करना पड़ा। दौरे के बाद कनाडा पहुंची और वहां से मां के साथ सात माह के गर्भ के साथ भारत क्योंकि वह चाहता था कि गर्भावस्था वहीं पूरी करूं। इसी बीच 10 दिसंबर 2003 को आरोपी उत्तरी अमेरिका के क्रियायोग व्याख्यान दौरे से युवा कनाडाई नागरिक के साथ आश्रम लौटा, जिसने अभी अभी संन्यास लिया था।
पता चला कि उसे भी गर्भवती कर दिया है। 25 जुलाई 2004 को उसका प्रसव होना था, पर उसने अपनी मां शांति माता के साथ गर्भपात के लिए जाने पर मजबूर किया। गंगा किनारे वह उल्टी गंगा बहाने में जुट गया कि सोचो कि वह कभी गर्भवती थी ही नहीं। उधर, 10 फरवरी 2004 को बेडेस्सी ने वाराणसी के आशीर्वाद नर्सिंग होम में बेटे कृष्णा को जन्म दिया ताकि आसपास के लोग जानने ही न पाएं कि उसने गर्भवती बनाया है और वह बच्चे का जैविक पिता है इसीलिए जन्म प्रमाण पत्र में भी पिता के स्थान को खाली छोड दिया गया। इसके बाद जब लोगों ने बेडेस्सी को बच्चे के साथ देखा तो विवाद पैदा हुआ। उसने नई कहानी रची कि बाबा का भाई बच्चे का पिता है। इससे इंकार पर वह विफर गया क्योंकि संन्यासी चोला छोड़ने से उसे कनाडा, यूएसए, मेरे परिवार और संस्था वाईएफटी के माध्यम से बने संपर्कों से वित्तीय हानि तय थी। उन्होंने कृष्णा के जन्म प्रमाण पत्र की भी एक प्रति संलग्न की है।
2005 में पिता की मदद के लिए कनाडा जाना पड़ा तो बेटे को साथ ले गई। 2005 की गर्मी में वह भी कनाडा आया व दबाव बनाया कि कृष्णा को उसके साथ भारत भेज दूं, जबकि वह बेटे के साथ कनाडा में ही रहना चाहती थी, लेकिन उसकी जिद के आगे एक न चली और मां व कृष्णा के कथित भले के लिए सर्वोत्तम क्रियायोग शिक्षा के लिए भेज दिया गया। बेडेस्सी ने कनाडा और भारत के बीच यात्रा जारी रखी, जबकि कृष्णा आश्रम में आरोपी व अन्य संन्यासियों के साथ रहता रहा बिना शिक्षा के। कनाडा में रहने के दौरान वह बच्चे से बात नहीं कराता था। यह सब पिता बर्दास्त नहीं कर सके और 2008 में गंभीर बीमारी के बाद चल बसे। कुछ सप्ताह बाद भारत से कनाडा लौटने वाली थी तो बच्चे को भोजन कराने के बारे में आरोपी की आलोचना का जवाब देने पर वह गुस्से में आकर हिंसक हो गया। उसने उबलती हुई चाय का कप फेंक कर मारा, जिससे छाती व अन्य अंग झुलस गए। दर्द से चिल्लाते हुए कमरे से बाहर भागी तो चेहरे पर मुक्का मारा, जिससे बाईं आंख पर दो हफ्तों तक सूजन व चोट का निशान रहा। परदेश में असहाय थी। बेटा आरोपी के पास था और पिता के न रहने के बाद कोई आय भी नहीं थी। खुद कस्टडी में होने के कारण किसी मंच पर शिकायत भी नहीं कर सकती थी। काफी दिन बाद 2018 में एक दिन अचानक कनाडा से आश्रम पहुंची।
डॉ. बेडेस्सी उसके कमरे में पहुंची तो एक महिला संन्यासी कथित महालक्ष्मी माता शर्मिंदा दिखते हुए बाहर भाग गईं। अंदर तकिए पर धब्बे के बारे में धमकाते हुए कहा कि महिला संन्यासियों के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए तो वह जोर से चिल्लाया और गंदी गालियां देकर बोला कि यहूदा हूं। उसने श्राप दिया कि नरक में जाओगी व चिल्लाया कि उसने कभी कुछ भी ऐसा नहीं किया, जो भगवान की इच्छा के खिलाफ हो और वह केवल भगवान के लिए काम करता है। बाईं जांघ पर मुक्का मारा और बाहर चला गया। उसकी बेटी योग माता कमरे में आई और उसकी बातों को सही ठहराने में लग गईं। उसे समझाया कि वह एक महिला है और पिता द्वारा महिला संन्यासियों के साथ दुराचार का समर्थन न करे। 2018 की गर्मी में वह फिर योग का मायाजाल फैलाने कनाडा आया और बर्बाद कर देने की धमकी देकर और आक्रामक रूप से पैसा मांगा।
इसी समय कृष्णा ने कनाडा में रहने व पढ़ने की बात कही। अपनी बहन, जो एक शिक्षक है, से पूछा कि क्या वह बेटे को छुपा सकती हैं क्योंकि वह अनुमति नहीं देता। बहन ने उल्टे पूछा कि क्या आश्रम में कृष्णा सुरक्षित नहीं है। उसको भयावह बातें बताने से डर गई, क्योंकि वह जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता था। 2019 में, जब कनाडा में थी तो कृष्णा को भारत में डेंगू हो गया। सात दिन वह अस्पताल में उच्च बुखार में भर्ती रहा। उसके निर्देश पर संन्यासियों ने यह बात छिपाई। एक मेडिकल डॉक्टर के साथ मां होने के नाते बताना चाहिए था, पर किसी ने फोन पर सही बात न बताकर बहाना बनाती रहीं कि कृष्णा सो रहा है, व्यस्त है या फिर अपराधबोध में डालकर कहतीं कि उससे कम बात करनी चाहिए क्योंकि वह तनाव में आ सकता है। उनका कहना है कि बेटे को अकादमिक शिक्षा से वंचित कर दिया, जबकि बेटा पढ़ना चाहता है। वह इस मांग पर मां-बेटे दोनों की पिटाई करता था।
आखिरी बार फरवरी 2020 में भारत के आश्रम गई और कृष्णा को स्कूल भेजने की बात की। संन्यासिनियों से घिरे होने के चलते वह मना नहीं कर सका और बेटे की अभिरक्षा प्राप्तकर कनाडा चली गई, जहां उसे एक स्कूल में दाखिला मिल गया, फिर सिर्फ फोन पर बात हुई। वह फोन पर कोसता व चिल्लाता कि एक भयानक मां हो। वह कहता था कि तुम्हे गुरु की शपथ कि बेटे को कनाडा ले जाकर एक गलती की है। 12 मई 2023 को भेजे गए सभी संदेशों के स्क्रीनशॉट भी उन्होंने संलग्न किए हैं।
धन धर्म के साथ अस्मिता भी रौंद डाली
आठ जुलाई 2023 को दोस्तों और परिवार की मदद से हिम्मत जुटाई और वर्षों से कई महिलाओं के साथ किए गए यौन दुराचार के सबूत भी। आर्थिक लेन-देन के सुबूत भी जुटाए, जो कई लाख डॉलर बेडेस्सी परिवार ने आरोपी के खाते में ट्रांसफर किए थे। वे प्रतियां भी जुटाईं, जिन्होंने आरोपी द्वारा वित्तीय व यौन शोषण की गवाही दी है। सारा कुछ पेष किया है महिला आयोग को। वह बेवकूफ बनाता था कि धन भेजकर वास्तव में क्रियायोग के उद्देश्यों व भगवान की सच्ची सेवा कर रहा है बेडेस्सी परिवार। अकेले बेडेस्सी ने 2,89,000 कनाडाई डॉलर दिए, जो कि लगभग दो करोड़ रुपये के बराबर है। इसमें वे हजारों डॉलर शामिल नहीं है, जो पिता, परिवार व उनके रिश्दातेरों व सहयोगियों ने दिए हैं। इसके अलावा भारत-कनाडा के बीच आने-जाने के टिकट, आवास, भोजन, फोटोग्राफी उपकरण, वीडियो कैमरे सेलफोन और कंप्यूटर आदि भी दिए हैं। उसके निर्देशों पर हजारों कनाडाई और अमेरिकी डॉलर और भी खर्च किए गए हैं, जिनका कोई रिकॉर्ड नहीं हैं। भाई बर्लिन बेडेस्सी ने चार लाख कनाडाई डॉलर से अधिक का योगदान दिया है, जो कि करीब ढाई करोड़ बनता है।
उसने क्रियायोग विश्वविद्यालय की जमीन खरीदने के लिए ये पैसे मांगे थे। आज तक कहीं एक ईंट नहीं रखी गई है। हां, कई निजी संपत्तियां जरूर खरीद लीं। बेडेस्सी के दो बैंक खाते थे। एक बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल के साथ और दूसरा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, कचहरी रोड प्रयागराज में। कनाडाई खाते से पैसे स्टेट बैंक खाते में भेजती थी और वहां एटीएम का इस्तेमाल आरोपी द्वारा नियुक्त संन्यासिनी मीरा माता (संजना हस्तीर) करती थीं। तीन अन्य बैंक खाते थे, जिनमें उसके कहने पर हजारों डॉलर जमा किए गए हैं। बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में आरोपी के साथ एक संयुक्त यूएसडी बैंक खाता था। बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में मीरा माता और आरोपी के बीच दो अन्य संयुक्त बैंक खाते थे (एक सीएडी और एक यूएसडी), जिनमें बेडेस्सी और एक अन्य कनाडाई संन्यासिनी अन्ना चिपोलोन (गंगा माता) ने उसके कहने पर वर्षों से पैसे जमा किए हैं। उन्होंने बैंक स्टेटमेंट, 2010 से 2023 तक बैंक ट्रांसफर, जमा पर्चियों की प्रतियां और ट्रांसफर के संबंध में ईमेल की प्रतियां भी संलग्न की हैं। उसके औरे के चलते समझाने में कई साल लग गए कि जो कर रहा है, वह आर्थिक, सामाजिक, शारीरिक व पारिवारिक शोषण है। बेटे कृष्णा व बेडेस्सी की पिटाई करके भय का माहौल बनाता था ताकि वह शिक्षा की बात न कर सके और कोई तर्क न रख सकूं।
जीवन के प्रति लगातार भय पैदा कर वह बेडेस्सी सहित पूरे परिवार से पैसे वसूलता था। वह अक्सर कुछ बड़े स्थानीय पुलिस और सरकारी अधिकारियों को अपना शिष्य व मित्र बताकर प्रभाव में रखता था। उन्होंने आरोपी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई करने और उसके कार्यों की गहन जांच की मांग की है। साथ ही कहा है कि जांच में सहयोग के लिए हमेशा तैयार रहूंगी। उन्होंने अपनी मेल आईडी, नंबर और पता देने के साथ कहा है कि यह आदमी भगवा चोले की आड में भारत को बदनाम कर रहा है।
भगवा चोले में छिपा हवसी भेड़िया
संगम नगरी को यूं ही नहीं तीर्थराज प्रयाग कहा जाता है। इस नगरी की धार्मिक और पौराणिक मान्यता है। यहां की पावन धरती पर कुंभ, अर्द्धकुंभ और महाकुंभ का भी आयोजन होता है। यह साधु-संतों की प्राचीन काल से ही तपोस्थली रही है। लाखों लोग यहां मोक्ष के लिए संगम स्नान व संतों के दर्शन के लिए साल भर आते रहते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि यहां पर सब संत ही रहते हों। संत के वेष में सत्यम बाबा जैसे ढोंगी, पाखंडी व अपराधी भी रहते हैं।
यह बाबा गंभीर अपराधों में लिप्त है और इस हिस्ट्रीशीटर पर कई थानों में करीब 40 मामले दर्ज हैं। हाल ही में भारत-नेपाल सीमा पर सोनौली में एक अमेरिकी महिला पकड़ी गई। वह बिना वीजा के नेपाल जा रही थी। इतना ही नहीं, वह भारत में लंबे समय से बिना वीजा के रह रही थी और वीजा भी प्रतिबंधित था। उससे कूटरचित ढंग से बनाया गया आधार कार्ड भी बरामद हुआ। खुफिया एजेंसियों को पूछताछ से पता चला कि महिला के भारत में रहने पर रोक लगी हुई थी, फिर भी वह लंबे समय से अनाधिकृत तौर पर प्रयाग में बाबा सत्यम के क्रिया योग संस्थान में रह रही थी। यह भी तभी पता चला कि कई और भी विदेशी महिलाएं उसके संरक्षण में रह रही हैं और इनमें से अधिकांश का यौन शोषण भी करता है। यह सुनकर खुफिया एजेंसियां हिलीं तो, पर शिकायत न होने और सियासी रसूख के कारण चुप्पी साध ली। अब देखना यह है कि शीर्ष तक पहुंच रखने वाले इस ढोंगी बाबा के खिलाफ सरकार कोई ठोस कार्रवाई करेगी या सरकार और पुलिस प्रशासन के साथ ही खुफिया एजेंसियां भी बचती रहेंगी। वर्तमान में क्रिया योग अनुसंधान संस्थान द्वारा हंस कूप, हंस तीर्थ मंदिर की मूर्तियों को नष्ट किया जा रहा है तथा संध्या वट एवं श्री संकष्ट हरण माधव (देखें-गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित तीर्थांक पृष्ठ संख्या 175) जैसे पौराणिक स्थलों तक भी नहीं जाने दिया जा रहा है। यह सब तीर्थराज की सांस्कृतिक अमूल्य निधि है, जिसका संरक्षण, संवर्धन व जीर्णोद्धार करना न सिर्फ किसी सरकारी निकाय का, अपितु सभी का दायित्व है, क्योंकि हंस कूप का न सिर्फ पौराणिक, बल्कि औषधीय दृष्टि से भी महत्व है, लेकिन इस पर भी बाबा की नीयत खराब है।
इसकी शुरुआत उसने मंदिर में श्रद्धालुओं को जाने से रोक लगाकर कर दी है। ये त्रिवेणी संगम के निकट गंगा जी के पूर्वी तट पर शास्त्री पुल एवं रेलवे पुल के बीच में श्री कैलाश धाम आश्रम के निकट प्रतिष्ठानपुरी (झूसी) केकोहना में स्थित है। उत्तर प्रदेश कुंभ मार्गदर्शिका की माने तो मान्यता है कि हंस कूप के जल से स्नान करने एवं आचमन से अश्वमेध यज्ञ व लाखों गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है तथा सूर्य और चंद्रमा के रहने तक जीवात्मा को स्वर्ग निवास मिलता है। इस पर भी बाबा ने कब्जा कर रखा है। आखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि जी, गोवर्धन मठ पुरी शंकराचार्य जी, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी, स्वामी विद्या भाष्कर सहित अन्य मनीषियों ने इसके दुर्दात कृत्यों का विरोध किया।
कोई भी आलाधिकारी मदद करने को तैयार नहीं है, फिर भी जिनकी जमीन पर कब्जा किया गया है, वे हंस मंदिर के वजूद को बचाने के लिए आवाज बुलंद कर रहे हैं। पकड़ी गई महिला ने बताया कि बाबा का वाराणसी में भी एक आश्रम है, जहां वह रह रही थी। सोनौली कोतवाली प्रभारी ने युवती का नाम कोलिन पैट्रिक लिंच (35) निवासी यूएसए बताया। उसके विरुद्ध विदेशी अधिनियम व 467 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है। आधार कार्ड पर जिस महिला का नाम विदेशी महिला के रूप में अंकित है, वह महिला वंदना सिंह पुत्री किशोर सिंह सत्यम के आश्रम में ही रहती है। उसकी गिरफ्तारी के वक्त क्रियायोग की सचिव मीरा सत्यम भी थीं। संदेह प्रकट किया गया है कि मीरा का काम उसे सुरक्षित नेपाल तक पहुंचाना था।
जांच में पता चला है कि क्रिसमस पर 25 दिसंबर 2022 को क्रियायोग संस्थान में ईसाई समुदाय के कार्यक्रम में भी यह महिला थी। सत्यम के साथ 14 जून 22 को नेपाल गई थी। उसके पहले 10 मार्च से 18 मार्च तक स्विट्जरलैंड में थी, जहां पर अनाधिकृत रूप से जाने के कारण गिरफ्तार कर ली गई थी। बड़ा प्रश्न यह भी है कि इसके बाद वह स्विट्जरलैंड से भारत कैसे पहुंची और किसकी मदद से। एक बड़े संत ने कहा कि उसे यही सब करना था तो फिर भगवा न पहन कर श्वेत वस्त्र धारण करने चाहिए थे तो जनता ने कहा कि सफेद पहन के सफेद को अपने चरणों में कैसे झुका पाता। उधर, एक पूर्व साधक का कहना है कि देशी और विदेशी महिलाओं को धार्मिक व देवी-देवताओं के नाम देकर उसके बाद माता शब्द जोड़कर और लगभग सभी के साथ दुराचार करके बाबा सत्यम ने मां की पवित्र कोख को ही बदनाम कर दिया।
बेटी से दुष्कर्म के आरोप पर मचा था हड़कंप
अतीत में तब हड़कंप मच गया था, जब एक युवती स्थिरा सत्यम ने कर्नलगंज थाने में दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। खुद को उसकी बेटी बताकर पुलिस में क्रियायोग के संस्थापक योगी सत्यम, ज्ञान माता, प्रज्ञा माता, मीरा माता, दिनेश, सुरेंद्र समेत आधा दर्जन लोगों के खिलाफ दुष्कर्म लूट, बंधक बनाने और जान से मारने की साजिश रचने का मुकदमा दर्ज कराया था। हालांकि इस मामले को भी कालांतर में दबा दिया गया था। यौन उत्पीड़न के बाद योग संस्थान से भागकर किसी तरह थाने और तत्कालीन एसएसपी के पास युवती ने कहा था कि विरोध करने पर बंधक बनाकर कार से दिल्ली ले जाया गया। वहां कई दिनरखने के बाद लखनऊ व बलिया में भी बंधक बनाकर कई दिन रखा गया। फिर प्रयागराज के क्रिया योग में लाकर जान से मारने की भी कोशिश की गई। साथ ही इकट्ठा किए गए साक्ष्यों को भी नष्ट कर दिया गया। तब इं. सत्येंद्र सिंह ने कहा था कि युवती की तहरीर के आधार पर मामला दर्ज कर लिया गया है। जांच के बाद उचित कार्यवाही होगी। उधर, क्रिया योग संस्थान से जुड़े एक सदस्य का कहना है कि विश्व हिंदू परिषद के बड़े नेता कई साल से योगी सत्यम के आश्रम पर कब्जा करने में लगे हैं। यह भी उस साजिश का एक हिस्सा है।
खतरनाक है सत्यम का मायाजाल
न गौ से कोई नाता, न वेद से, न वेदांत से, न विप्र से, न संतत्व से और न ही भगवत विग्रह आदि से एवं न ही आचार विचार, व्यवहार और आचरण से। व्यभिचार को ही मुक्ति का रास्ता करार देना और जप व तप को भी सेक्स से जोड़कर महिलाओं को भ्रमित करके शोषण कर संत परंपरा और भगवान का उपहास उडाने वाला बाबा कैसे हो सकता है। शायद गेरुआ वस्त्रों की आड़ में दो नंबर के काम करने में ज्यादा सुरक्षित रहता होगा आदमी इसीलिए कालांतर में कई लोग पकड़े गए हैं, जो रेप व कत्ल जैसे जघन्य अपराध करने के बाद से कई दषक से फरार थे और बाद में पकड़े गए बाबा के वेश में। इतने अपराध करने वालों से भुठभेड़ बनती है। इस तरह की गंदगी फैलाने और भगवा वस्त्रों को बदनाम करने वालों पर बहुत सख्त कार्रवाई की जरूरत है इसीलिए लोग अब सवाल करने लगे हैं कि आखिर मुख्यमंत्री का बुलडोजर ऐसे बाबाओं के आश्रमों का कब रुख करेगा और कब जब्त की जाएगी उनकी संपत्ति, जिन पर बहुत संगीन आरोप हैं।
प्राचीन काल से साधु-संतों एवं तपस्वियों की तपस्थली के रूप में विख्यात त्रिवेणी संगम की पुण्य धरा धाम प्रयागराज के झूसी (प्रतिष्ठानपुर) में विगत दो दशक से सनातन मान बिंदुओं के विरुद्ध कार्यरत एक बहरूपिया सत्यम योगी उर्फ सत्य नारायण सिंह व उसके गैंग (तथाकथित महिला साध्वी एवं साधक) के कुकृत्यों की सूची दिन पर दिन लंबी होती जा रही है। उसके क्रियायोग आश्रम में न कोई सनातन गुरु परंपरा है और न ही सनातन धर्म के कोई मौलिक स्तंभ। ईसाई मिशनरियों से अनुप्राणित इस संस्थान में साध्वी के नाम पर बड़ी संख्या में देशी एवं विदेशी महिलाएं हैं, जो गाहे-बगाहे किसी न किसी कारण से मुकदमे लिखवाती रहती हैं। उधर, साधक के रूप में रहने वाले गुंडे पिटाई करके लोगों की जमीनें कब्जा कर रहे हैं।
शिव लाल निषाद, बीआर प्रसाद शास्त्री और छोटे लाल श्रीवास्तव एवं उनके परिजन भुक्तभोगी हैं। लोगों का आरोप है कि क्रिया योग की आड़ में देह व्यापार, ड्रग्स की सप्लाई एवं भूमि अतिक्रमण के कार्य होते हैं और विदेशी महिलाओं को गुमराह कर उनकी संपत्ति हड़पने एवं विदेशियों को बिना वीजा के ही अवैध रूप से पनाह देने के लिए भी कुख्यात है। इसकी पुष्टि कनाडा की डॉ. बेडेस्सी के आरोपों से हो गई है तो सोनौली बार्डर पर पकड़ी गई अमेरिका निवासी कथित अनुसुईया माता से। माफिया के गैंग ने झूसी के आश्रमों एवं संतगणों (हरि चैतन्य ब्रह्मचारी, राम लोचन ब्रह्मचारी, सतुआ बाबा परशुराम धाम अखाड़ा, कैलाश धाम, रोग हरण हनुमान मंदिर, परमानंद, श्री प्रभु दत्त ब्रह्मचारी आश्रम आदि) की न सिर्फ जमीन पर कब्जा किया, अपितु फर्जी मुकदमे लादकर प्रताड़ना भी दी है।
प्रयागराज के पंचकोषीय, द्वादश माधव एवं बहिर्वेदीय परिक्रमा स्थल के अस्तित्व को नष्ट कर रहा है। साथ ही दर्शनार्थियों को अपमानित करने से बात न बने तो महिलाओं से अभद्रता का आरोप लगाकर केस दर्ज कराने की धमकी देता है। पौराणिक श्री संध्या वट वृक्ष के नीचे विराजमान प्राचीन संकष्ट हर माधव के मंदिर को ध्वस्त कर गुरु गोरखनाथ एवं गुरु मछंदर नाथ की तपस्थली को विकृत कर मुख्यमंत्री को चुनौती भी दी है।
उच्च न्यायालय की अवमानना करते हुए माफिया ने बेड ऑफ गंगा में स्थित पौराणिक स्थलों पर अतिक्रमण कर बड़ी बिल्डिंग बनवा रहा है। शास्त्री सेतु के बगल में गंगा जी के तट पर माफिया ने मोटी व ऊंची दीवार खड़ी कर दी है, किंतु जीटी रोड से आने-जाने वाले न्यायाधीशों, आलाधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों को कुछ दिखता नहीं है इसीलिए सत्यम जैसे धूर्त, पाखंडी और दुराचारी बाबा फूल-फल रहे हैं। संत समाज ने भी बाबा सत्यम को प्रतिबंधित कर रखा है।
सत्यम के आपराधिक रिकार्ड हुए थे तलब
तत्कालीन मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कहा था कि सेक्स स्कैंडल में फंसे बेंगलुरू के योग गुरु नित्यानंद और दुष्कर्म में फंसे झूसी के क्रियायोग गुरु सत्यम के विरुद्ध मिले शिकायती पत्रों का परीक्षण कराया जा रहा है। पुलिस से जांच रिपोर्ट और मुकदमों का विवरण मांगा गया है। इसके बाद ही भूमि आवंटन पर निर्णय होगा। तब माना गया था कि यौन संबंधों, दुष्कर्म व अन्य गंभीर अपराधों में फंसने वाले बाबाओं पर कुंभ मेला प्रशासन का शिकंजा कसने जा रहा है, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा। बाद में बाबा नित्यानंद को भूमि आवंटित करने के बाद सुविधा पर्ची (जमीन पर कब्जा पाने की रसीद) पर रोक लगा दी गई थी क्योंकि वह 2010 में उक्त आरोपों में जेल जा चुके थे।
सत्यम को काली सूची में डालने पर हुआ था विवाद
हर बार कुंभ के पहले अखाड़ा परिषद फर्जी, जादू दिखाने वाले और चमत्कारी बाबाओं की सूची जारी करती है। वर्षांत तक इस साल भी सूची जारी होने की उम्मीद है। 2019 में जो चौथी सूची अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने जारी की थी, उसमें योगी सत्यम को काली सूची में डाला गया था। इसके बाद काफी बवाल हुआ था और कई बार सत्यम के हवाले से महंत गिरि को धमकी दी गई, जब सीधे सत्यम ने फोन किया तो महंत जी ने पुलिस में जान से मारने की धमकी देने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
परिषद के प्रमुख ने कहाकि योगी सत्यम परिषद द्वारा निर्धारित मापदंडों पर प्रामाणिक साधु होने के योग्य नहीं हैं और इसलिए उन्हें फर्जी बाबाओं की सूची में शामिल किया गया है। इन फर्जी बाबाओं से उनकी सभी उपाधियां छीन ली जानी चाहिए और उन्हें भगवा वस्त्र धारण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। इससे पहले, अखाड़ा परिषद ने सितंबर 2018 में 14 फर्जी बाबाओं की पहली सूची जारी की थी, जिसमें आसाराम बापू, उनके बेटे नारायण साईं, गुरुमीत राम रहीम, सच्चिदानंद गिरि, राधे मां, निर्मल बाबा, असीमानंद, इच्छाधारी भीमानंद, रामपाल और बृहस्पति गिरि का नाम शामिल था।
दूसरी ओर स्वयंभू फर्जी बाबाओं के रूप में आचार्य कुशमुनि और मलखान सिंह का भी। दूसरी सूची में वीरेंद्र देव दीक्षित, सच्चिदानंद सरस्वती, त्रिकाल भवंत और फलाहारी बाबा को फर्जी बाबा बताकर काली सूची में डाला गया था। तीसरी सूची में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के स्वयंभू राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज और कांग्रेस से जुड़े आचार्य प्रमोद कृष्णम् का नाम शामिल था। इस कार्रवाई से नाराज स्वामी चक्रपाणि ने परिषद को ही कानूनी नोटिस भेजा था।
कुंभ के पहले यह लिस्ट प्रशासन को भेजी जाती है ताकि पाखंडियों के कुंभ जैसी जगह पर प्रवेश को रोका जा सके। महंत ने कहा था कि इन फर्जी बाबाओं की उपाधियां पहले ही छीन ली गई हैं और जनता भी इन फर्जी बाबाओं से दूरी बनाए रखे। आत्महत्या के पूर्व उन्होंने यह भी कहा था कि जरूरत पड़ने पर हम इस मुद्दे को मुख्यमंत्री के समक्ष ले जाएंगे।
सत्यम को मिली गोली मारने की धमकी
झुंसी के रहने वाले एक युवक ने योगी सत्यम पर उसकी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए योग गुरु को गोली मारने की धमकी दी है। वायरल वीडियो में वह कह रहा है कि उसे परेशान किया तो गोली मार देगा। इसकी पुष्टि दृष्टांत मीडिया हाउस नहीं करता है। वीडियो में धमकी देने वाले ने भी खुद को बाबा बताया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
यूएसए में भी दर्ज है बाबा के विरुद्ध रेप का केस
प्रदेश के थानों में बाबा सत्यम के खिलाफ पहले से ही रेप सहित कई मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन अब विदेष में भी सिलसिला शुरू हो गया है। अगस्त 23 में संयुक्त राज्य अमेरिका के ओहियो के ट्रबल काउंटी में द न्यूटन फॉल्स म्यूनिसिपल कोर्ट ने लिंच की शिकायत बाबा के खिलाफ एक शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद 30 अगस्त 2023 को उसके खिलाफ आपराधिक मामला संख्या 2300368 के आधार परसमन जारी किया था, क्योंकि अमेरिकी कानून के मुताबिक भी यह एक गंभीर आपराधिक केस है।
आरोपी चूंकि भारत में है तो अभी इस मामले में कोई प्रगति नहीं हो पाई है और साल बीत गया है। देश की बात करें तो तत्कालीन मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कहा था कि सेक्स स्कैंडल में फंसे बेंगलुरू के योग गुरुनित्यानंद और दुष्कर्म में फंसे झूसी के क्रियायोग गुरु सत्यम के विरुद्ध मिले शिकायती पत्रों का परीक्षण कराया जा रहा है। पुलिस से जांच रिपोर्ट और मुकदमों का विवरण मांगा गया है।
वहीं झूसी के रहने वाले एक युवक ने योगी सत्यम पर उसकी जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगाते हुए योग गुरु को गोली मारने की धमकी दी है। वायरल वीडियो में वह कह रहा है कि उसे परेशान किया तो गोली मार देगा। इसकी पुष्टि प्रखर पोस्ट समाचार पत्र नहीं करता है। वीडियो में धमकी देने वाले ने भी खुद को बाबा बताया था। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
विदेशी महिलाओं के बच्चे हैं या बाबा के लिए चारा
नवंबर 2018 में जब बाबा योगी सत्यम की बेटी योग माता स्थिरा सत्यम आश्रम से भागने और प्रयागराज के कर्नलगंज थाने में रेप की शिकायत दर्ज कराने में किसी तरह सफल रही थी तो मामले को दबाने के लिए संगम नगरी से लेकर देश-प्रदेश की राजधानी तक कई दिन 24-24 घंटे फोन घनघनाते रहे थे लोकतंत्र के चारों स्तंभों के आलाधिकारियों के। उसके बाद कई साल में पहली बार आश्रम में रह रही युवतियों को आश्वर्य मिश्रित विश्वास हुआ कि बाबा के भी खिलाफ शिकायत दर्ज कराई जा सकती है, नहीं तो उसने कथित शिष्यों में ऐसा आभामंडल बना रखा था कि वही धरती की पहली और अंतिम सत्ता है और सारी सत्ता आकर उसके चरणों में आकर झुक जाती है।
हो भी क्यों नहीं, जब रोज ही कोई न कोई अरिस्टोक्रेट, ब्यूरोक्रेट, डेमोक्रेट, जुडीसोक्रेट, जर्नलोक्रेट और टेक्नोक्रेट लंबी-लंबी गाडियों से आकर मत्था टेकता रहता था। पूरे प्रदेश में कोई यह बताने वाला नहीं है कि रात में कौन सी अदालत लगती है बाबा के अड्डे पर। सब कुछ एक मुंबइया मसाला फिल्म की तरह चल रहा था और एक बाबा खुद को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि गुर्गों से कहा गया था कि रिपोर्ट वापस लेने पर न माने तो… खल्लास । एक सरकारी गुर्गे के कहने पर कि बेटी के शिकायत वापस लेने के बाद ही कुछ हो सकता है, स्थिरा को गुर्गों से कई दिन में दिल्ली से ढूंढकर पकड़वाने में सफल रहा, यूपी के कई शहरों में कई दिन तक इधर-उधर रखा गया। इस दौरान सेवक सेविकाएं ब्रेनवाश करते रहे, डराते व धमकाते रहे और बाबा के कहने पर कुछ यातनाएं भी दी गईं। आखिरकार आरोपी के दबाव और प्रभाव में एफआईआर रद्द हो गई। यह बात आश्रम को हिला गई तो लिंच व बेडेस्सी को अंदर तक झकझोर, पर स्थिरा की हिम्मत से बल मिला और लिंच ने पति को पूरी बात बताई। वह आश्रम छोड़ने के लिए राजी हो गए, लेकिन बच्चे उसके कब्जे में थे।
यही गेम था बाबा का। वह बच्चे चारे के रूप में इस्तेमाल करता था ताकि कनाडा की डॉ. बेडेस्सी की तरह लिंच भी बार-बार आश्रम आती रहे। यह बातें राष्ट्रीय महिला आयोग नई दिल्ली को जुलाई में एक मेल भेजकर कनाडा की डॉ. जेना बेडेस्सी ने जहां बाबा सत्यम की इज्जत कीचिंदियां उड़ा दी थीं, वहीं अगस्त में अमेरिका की कैरी लिंच ने बची-खुची इज्जत की भी ऐसी-तैसी कर दी। दोनों केईमेल के षब्दों और समय के चयन से ऐसा लगता है कि दोनों एक-दूसरे का हौसला बढ़ा रही हैं, काम आ रही हैं, प्रेरित कर रही हैं और पीड़ित-पीड़ित एक हैं। भले ही कहने के लिए दोनों की नागरिकता अलग हो। दोनों भारत में कई साल आश्रम व देष-विदेष के योग टूर में साथ रही हैं। बताना जरूरी है कि यह वही कैरी लिंच हैं, जिन्हें वीजा और पासपोर्ट के बिना नेपाल सीमा पर पकड़ा गया था। हालांकि यह साफ नहीं हो पाया कि क्या बाबा बच्चों के साथ पासपोर्ट भी जमा करवा लेता था।
लिंच ने बताया था कि वह कई साल से सत्यम के प्रयागराज व वाराणसी के आश्रम में रह रही थी। देखने से यही लगता है कि दोनों मेल की ड्राफ्टिंग भी एक ही व्यक्ति द्वारा की गई है। उन्होंने आईपीसी की धारा 354 (गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 354 ए (यौन उत्पीड़न) और 506 (धमकी) के तहत सत्मय के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। उन्होंने बताया है कि पति स्कॉट लिंच से हाईस्कूल में मिली और अक्टूबर 2009 में फिर। उन्होंने क्रिया योग के बारे में बताया। ध्यान में रुचि के कारण सीखने के लिए उत्सुक थी। स्कॉट ने आरोपी यानी कि अपने गुरु से मिलवाया। पति सभी निर्णयों में आरोपी से सलाह लेते थे। 2010 में ही आरोपी ने दोनों की शादी करवा दी।
मई 2010 में वह अमेरिका जाना चाहती थी, पर बाबा ने कहा कि भारत में ही रहो और ध्यान का अभ्यास करो। पति यूएसए चला गया और पीड़ित अकेले आश्रम में। बाद में काफी कहने पर जुलाई में अमेरिका जाने दिया। 2010 में ही बाबा कनाडा टूर में साथ ले गया, जहां उसके शिष्य के घर पर रही। कुछ दिन के लिए अमेरिका जाने दिया गया। वह भी इस शर्त के साथ कि सितंबर में उसके साथ भारत लौटूं। इस बार वह सुरक्षा व सहयोग के लिए भाभी कोलीन को भी साथ ले आईं। पति को कथित गुरु पर पूरा भरोसा था व परिवार मानते थे इसीलिए सारी भावनात्मक उथल-पुथल व परेशानियां बताते थे। हम उस पर पूरा भरोसा करते थे। बाबा ने धोखा दिया कि वह मनचाहा जीवन देने व आध्यात्मिक रूप से प्रशिक्षित करने में सक्षम है। मार्च 2011 के आसपास गर्भवती हुई, वह भी आरोपी की अनुमति से। साढे चार माह के गर्भके साथ जुलाई 2011 में भारत आई। नई दिल्ली में भाभी कोलीन के साथ उसके दोस्त के घर में दूसरी मंजिल पर रुके। पहला गर्भ और पति के साथ न होने से परेषान थी तो बंद कमरे में आँखें बंद कर षांत होने के लिए कहकर आध्यात्मिक रूप से प्रेरित करने के बहाने से छुआ।
नवंबर 11 को प्रयागराज के एक अस्पताल में बेटे को जन्म दिया। यूएसए जाना था तो उसने जाने दिया, लेकिन दो साल के बेटे के बिना। नवंबर 2015 में दोबारा गर्भ धारण करने पर परेषान हुई तो आश्रम के कमरे में घुसते ही कुंडी लगा दी और फिर आँखें बंद कर ध्यान करने के लिए कहा व छूना शुरू कर दिया। आरोपी ने इस हरकत को यह कहकर उचित ठहराया कि वह बच्चा बिना अनुमति के आया है। जुलाई 2018 के आसपास फिर बेटी के जन्म के बाद ऐसा ही हुआ। पति भी आश्रम में थे। बच्चे को बेड पर स्तनपान करा रही थी कि कमरे में घुसा और कहा कि किसी को न बताऊँ। पहले तो सोफे पर ध्यान लगाने का नाटक किया, फिर पास आकर लेट गया और आध्यात्मिक बातें करने लगा। फिर गोद में बैठने को कहा। नाइट गाउन में थी, लेकिन इसी बीच उसे फोन आ गया, तब कहीं बाहर निकल पाई।
उसकी बेटी योग माता स्थिर सत्यम ने पूछा कि आरोपी कहां है। कमरे में बताने के बाद भी कोई मदद नहीं की। थोड़ी देर बाद बेटी के लिए गई तो फिर उसने वहीं से बात पुरू की, जहां छोड़ी थी। यह 40 मिनट दर्दनाक अनुभव था। नवंबर 18 में आरोपी की बेटी आश्रम से भागने में सफल रही और रेप की शिकायत दर्ज कराई। स्थिरा सत्यम को पकड कर लाया और आरोपी के दबाव में एफआईआर रद कर दी गई। स्थिरा तो आश्रम आकर फिर स्थिर हो गई, पर लिंच का कहना है कि उसके साथ कई बार बलात्कार हुआ है। यह बात झकझोरने वाली थी, पर स्थिरा की हिम्मत से बल मिला और पति को पूरी बात बताई। वह आश्रम छोड़ने के लिए राजी हो गए, लेकिन बच्चे उसके कब्जे में थे। वह बच्चे चारे के रूप में इस्तेमाल करता था ताकि मां अगर स्वदेष जाए भी तो लौटकर मजबूरी में आए जरूर।
दिसंबर 18 में पति ने किसी बहाने से जाने की बात कही तो एक कई हफ्ते तक धमकी देकर टरकाता रहा। फिर 24 जनवरी 19 को किसी तरह निकल पाए। उन्होंने बताया है कि भाभी कोलीन आज भी बाबा के कब्जे में हैं। हमे उनके बारे में कोई खबर नहीं, क्योंकि बात नहीं हो पा रही है। उनका भी बार-बार यौन शोषण किया जा रहा होगा।
ब्रेनवाष के बाद उसे भी लग रहा होगा कि आरोपी ही खुशी का एकमात्र कारण है, शक्तिशाली है और उसमें ईश्वर जैसी शक्ति है वगैरा वगैरा इसीलिए वह खुद को मसीह कहलवाना पसंद करता है। उन्होंने मांग की है कि संगीन अपराध की सजा उसे मिलनी ही चाहिए। प्रयागराज की यात्रा में जान का भय है इसलिए बयान आदि वह वहीं व वहीं से दर्ज कराने की बात कहती हैं क्योंकि आरोपी एक हिंसक और पहुंच वाला क्रिमिनल है।