कैंसर के प्रति जागरूकता अभियान चलाना जरुरी

कैंसर के उपचार में हाल के वर्षों में हुई प्रगति ने इस बीमारी को पहले के मुकाबले अधिक उपचार बना दिया है। समय पर पहचान और इलाज की बदौलत बहुत से मरीजों की जिंदगी बचाई जा रही है। यदि कैंसर के लक्षणों को पहले चरण में पहचान लिया जाए तो उपचार के परिणाम बहुत अच्छे आ सकते हैं।

देश में कैंसर के मामलों में वृद्धि की मुख्य वजहों में जीवनशैली से जुड़ी आदतें, जैसे कि अस्वास्थ्यकर खानपान, धूम्रपान, शराब का सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी शामिल हैं। इसके साथ ही, लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता की कमी भी एक बड़ा कारण है।

इसलिए, लोगों को कैंसर के लक्षणों, इसके कारणों, और बचाव के उपायों के बारे में जानकारी देना बेहद आवश्यक है। इससे न सिर्फ लोगों को इस बीमारी से बचाव करने में मदद मिलेगी, बल्कि समय रहते उपचार शुरू करने की संभावना भी बढ़ेगी। समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए मीडिया, स्वास्थ्य संगठन और शिक्षा संस्थान जैसे विभिन्न मंचों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैंसर से लड़ने का सबसे बेहतर और मजबूत तरीका यही है कि लोगों में इसके प्रति जागरूकता हो, जिसके चलते जल्द से जल्द इस बीमारी की पहचान हो सके और शुरूआती चरण में ही इसका इलाज संभव हो। यदि कैंसर का पता शीघ्र लगा लिया जाए तो उसके उपचार पर होने वाला खर्च काफी कम हो जाता है। यही वजह है कि जागरूकता के जरिये इस बीमारी को शुरूआती दौर में ही पहचान लेना बेहद जरूरी माना गया है क्योंकि ऐसे मरीजों के इलाज के बाद उनके स्वस्थ एवं सामान्य जीवन जीने की संभावनाएं काफी ज्यादा होती हैं।

हालांकि देश में कैंसर के इलाज की तमाम सुविधाओं के बावजूद अगर हम इस बीमारी पर लगाम लगाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं तो इसके पीछे इस बीमारी का इलाज महंगा होना सबसे बड़ी समस्या है। वैसे देश में जांच सुविधाओं का अभाव भी कैंसर के इलाज में एक बड़ी बाधा है, जो बहुत से मामलों में इस बीमारी के देर से पता चलने का एक अहम कारण होता है।

यह जानना भी बहुत जरूरी है कि ‘कैंसर’ आखिर है क्या? जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है तो शरीर पर विभिन्न प्रकार की बीमारियां हमला करना शुरू कर देती हैं। ऐसी परिस्थितियों में कई बार शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित होकर अपने आप तेजी से विकसित और विभाजित होने लगती हैं। कोशिकाओं के समूह की इस अनियंत्रित वृद्धि को ही कैंसर कहा जाता हैं। जब ये कोशिकाएं टिश्यू को प्रभावित करती हैं तो कैंसर शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगता है और कैंसर की यह स्थिति बहुत घातक हो जाती है।

दुनिया भर में कैंसर से लड़ने और इसे हराने के लिए निरन्तर चिकित्सीय खोजें हो रही हैं और इन प्रयासों के चलते ही अब कैंसर का शुरूआती चरणों में तो सफल इलाज संभव भी है। अगर शरीर में कैंसर होने के कारणों की बात की जाए तो हालांकि इसके कई तरह के कारण हो सकते हैं लेकिन अक्सर जो प्रमुख कारण माने जाते रहे हैं, उनमें मोटापा, शारीरिक सक्रियता का अभाव, व्यायाम न करना, ज्यादा मात्रा में अल्कोहल व नशीले पदार्थों का सेवन, पौष्टिक आहार की कमी इत्यादि इन कारणों में शामिल हो सकते हैं।

कभी-कभार ऐसा भी होता है कि कैंसर के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते किन्तु किसी अन्य बीमारी के इलाज के दौरान कोई जांच कराते वक्त अचानक पता चलता है कि मरीज को कैंसर है लेकिन फिर भी कई ऐसे लक्षण हैं, जिनके जरिये अधिकांश व्यक्ति कैंसर की शुरूआती स्टेज में ही पहचान कर सकते हैं।

कैंसर के लक्षणों में कुछ प्रमुख हैं, वजन घटते जाना, रक्त की कमी होना, निरन्तर बुखार बने रहना, शारीरिक थकान व कमजोरी, चक्कर आना, उल्टी होना, दौरे पड़ना शुरू होना, आवाज में बदलाव आना, सांस लेने में दिक्कत होना, खांसी के दौरान खून आना, लंबे समय तक कफ रहना और कफ के साथ म्यूकस आना, कुछ भी निगलने में दिक्कत होना, पेशाब और शौच के समय खून आना, शरीर के किसी भी हिस्से में गांठ या सूजन होना, माहवारी के दौरान अधिक स्राव होना इत्यादि।

कीमोथैरेपी, रेडिएशन थैरेपी, बायोलॉजिकल थैरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट इत्यादि के जरिये कैंसर का इलाज होता है किन्तु यह प्रायः इतना महंगा होता है कि एक गरीब व्यक्ति इतना खर्च उठाने में सक्षम नहीं होता। इसलिए जरूरत इस बात की महसूस की जाती रही है कि कैंसर के सभी मरीजों का इलाज सरकारी अस्पतालों में हो या निजी अस्पतालों में, सरकार ऐसे मरीजों के इलाज में यथासंभव

आर्थिक सहयोग करे क्योंकि जिस तेजी से देश में कैंसर मरीजों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए केवल सरकारी अस्पतालों के भरोसे कैंसर मरीजों के इलाज की कल्पना बेमानी ही होगी। इसके अलावा सबसे ज्यादा जरूरी यही है कि कैंसर को लेकर समाज में बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाएं जाएं।

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