तिल का दान किया जाता है षटतिला एकादशी व्रत में

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। साल में कुल 24 एकादशी तिथियां पड़ती है और प्रत्येक महीने में 2 एकादशी की तिथि आती है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि का महत्व काफी है। माघ महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी 25 जनवरी 2025, शनिवार को है। इस तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, षटतिला एकादशी व्रत करने से कन्यादान, स्वर्ण दान व हजारों वर्षों की तपस्या के बराबर पुण्य मिलता है।

इस दिन तिल का उपयोग अत्यंत शुभ व लाभकारी माना गया है। इस दिन तिल के दान का विधान होने के कारण इसे षटतिला एकादशी कहा जाता है। इस दिन उपवास रखना और ताजे फल, दूध या जल का सेवन करना चाहिए। उपवासी व्यक्ति पूरे दिन बिना आहार के रहते हैं और रात्रि को दीप जलाकर पूजा करते हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु की पूजा और उनका ध्यान करना चाहिए। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ, मंत्र जाप (जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”) आदि करते हैं।

तिल के तेल से स्नान करने का महत्व है। इससे शरीर और मन की शुद्धि होती है। तिल का तेल उबटन के रूप में भी किया जा सकता है। ब्राह्मणों को तिल से बनी वस्तुएं और भोजन देना एक पुण्य कार्य माना जाता है। यह विशेष रूप से इस दिन का एक अहम हिस्सा है। यज्ञ या हवन में तिल का आहुति देने से पुण्य की प्राप्ति होती है। षटतिला एकादशी के दिन इन कार्यों को करने से व्यक्ति को शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।

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