रिसर्च के लिए भाभा को मिला था नोबेल पुरस्कार

हॉमी जहांगीर भाभा भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं और उनका योगदान आज भी भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अनमोल है। उनका निधन एक बड़ी क्षति थी, न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए। 24 जनवरी 1966 को, जब वे कॉनकॉर्ड विमान (Air India Flight 101) के माध्यम से स्विट्ज़रलैंड से भारत लौट रहे थे, उनका विमान एक दुखद हादसे का शिकार हो गया। इस विमान दुर्घटना में भाभा समेत 17 लोग जान गंवा बैठे।

उनके साथ विज्ञान और तकनीकी जगत के कई और महत्वपूर्ण लोग भी थे, लेकिन उनकी असामयिक मृत्यु ने भारत के परमाणु कार्यक्रम को एक बड़ा झटका दिया। उनकी दूरदृष्टि और वैज्ञानिक दृष्टिकोण ने भारत को परमाणु विज्ञान में एक मजबूत आधार दिया। भाभा का योगदान इतना गहरा था कि उनकी मृत्यु के बाद भी उनके विचार और कार्य योजनाएँ भारत के परमाणु कार्यक्रम की दिशा तय करती रही।

हॉमी भाभा ने भारत को परमाणु शक्ति बनने की दिशा में मार्गदर्शन किया था। उन्होंने परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की योजना बनाई और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (TIFR) और भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (BARC) की नींव रखी। उनका सपना था कि भारत को परमाणु शक्ति में आत्मनिर्भर बनाया जाए, और उन्होंने इसे एक राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रौद्योगिकी के विकास के तौर पर देखा।

मुंबई के एक अमीर पारसी परिवार में 30 अक्टूबर 1909 को होमी जहांगीर भाभा का जन्म हुआ था। बता दें कि 18 साल की उम्र में उन्होंने कैंब्रिज यूनवर्सिटी में एडमिशन लिया और मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। बाद में उनकी रुचि भौतिकी की ओर बढ़ा। ऐसे में मैकेनिकल इंजीनियर बनने के बाद होमी जे भाभा ने शोधकार्य शुरू किया और नाभकीय ऊर्जा को अपना प्रमुख विषय बनाया।

कॉस्मिक किरणों पर काम करने के लिए भाभा को नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। उन्होंने अपने करियर में परमाणु बम पर काम किया था और वह भारत में परमाणु बन बनाना चाहते थे। इस दौरान पं. नेहरु ने भी इस पर काम करना शुरू कर दिया था। दरअसल, लाल बहादुर शास्त्री को भी उन्होंने ही परमाणु बम के लिए मनाया था। लेकिन परमाणु बम के परीक्षण से पहले ही होमी जे भाभा का निधन हो गया था।

उनके निधन के करीब 8 साल बाद राजा रमन्ना और होमी सेठना ने मई 1974 में परमाणु बम का निरीक्षण किया था। देश की तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने होमी जहांगीर भाभा को अहम पद का ऑफर दिया था। इस बात का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते हैं कि भाभा को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता था और वह मुंबई से दिल्ली शिफ्ट होने वाले थे। लेकिन इससे पहले ही उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

बता दें कि 56 साल की उम्र में होमी जहांगीर भाभा की 24 जनवरी 1966 को विमान क्रैश में निधन हो गया था। जब वह एयर इंडिया की फ्लाइट 101 में सफर कर रहे थे। तो फ्रांस और इटली की सीमा पर आल्पस पर्वत श्रेणी के माउंड ब्लैंक में क्रैश हो गया था। जब इस मामले की जांच हुई तो इसका आधिकारिक कारण बताया गया कि जिनेवा एयरपोर्ट और पायलट के बीच विमान की स्थिति को लेकर भ्रम पैदा हो गया था, जिस कारण विमान दुर्घटना हुई।

बताया जाता है कि जिस विमान हादसे में होमी जे भाभा की मृत्यु हुई थी, वह जानबूझ कर करवाया गया था। दरअसल, भारत के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका को बहुत संदेह और आपत्ति थी, इसलिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने होमी जे भाभा के विमान को क्रैश करवा दिया था। जिससे कि भारत का परमाणु बम कार्यक्रम आगे न बढ़ सके। लेकिन इस बात को कभी सिद्ध नहीं किया जा सका।

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