जन गण मन केवल एक गान नहीं, बल्कि भारत की एकता और विविधता की गवाही है। इसे 24 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान सभा में राष्ट्रगान के रूप में स्वीकृत किया गया था, लेकिन इसका इतिहास और महत्व बहुत गहरा है। फिर 26 जनवरी का दिन आता है जब शान से तिरंगा फहराया जाता है और देशभक्त शान से राष्ट्रगान गाते हैं। गुरु रविंद्रनाथ टेगौर ने देश का नेशनल एंथम लिखा है। इसके फुल वर्जन में चार और क्षंद हैं। सबसे पहले जन गन मन को पहली बार 27 दिसंबर 1911 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गाया गया था। भारत के राष्ट्रगान की पंक्तियाँ रवींद्रनाथ टैगोर के गीत ‘भारतो भाग्य बिधाता’ से ली गई हैं।
यह गान रवींद्रनाथ ठाकुर, यानी रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा लिखा गया था और उन्होंने इसे बंगाली भाषा में रचा। हालांकि यह गान शुरू में एक बंगाली गीत के रूप में था, लेकिन इसकी गहराई और संप्रभुता के कारण यह सम्पूर्ण भारतीयता की आवाज बन गया। राष्ट्रगान के सफर की बात करें तो, इसकी शुरुआत 1911 में हुई थी जब यह गीत पहले बंगाल में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में प्रस्तुत किया गया था। उस वक्त यह केवल एक हिस्सा था, लेकिन इसके बाद धीरे-धीरे पूरे देश में इसकी लोकप्रियता बढ़ी, और जब भारत ने स्वतंत्रता प्राप्त की, तो 1950 में इसे आधिकारिक राष्ट्रगान के रूप में स्वीकृति मिल गई।
रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गान में देश की विविधता, एकता, और समृद्धि को उजागर किया। इसमें शब्दों के माध्यम से भारत के विभिन्न हिस्सों और संस्कृतियों का सम्मान किया गया है, और यही वजह है कि यह गान हमें जोड़ने का कार्य करता है। हर शब्द में भारतीयता की भावना और एकता का संदेश छिपा हुआ है। यह गान हमसे सिर्फ एकता की बात नहीं करता, बल्कि यह हमें आत्मचिंतन और गौरव भी सिखाता है। हम भारतीयों को यह याद दिलाता है कि हमारे देश की शक्ति उसकी विविधता में है, और हम सब मिलकर इस महान राष्ट्र का निर्माण करते हैं।
हे भारत के जन गण और मन के नायक आप भारत के भाग्य विधाता हैं। वो भारत जो पंजाब, सिंध, गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, उड़ीसा और बंगाल जैसे प्रदेश से बना है। जहां विध्यांचल तथा हिमाचल जैसे पर्वत हैं। युमना-गंगा जैसी नदियां हैं। जिनकी तरंगे उच्छ श्रृंखल होकर उठती हैं। आपका शुभ नाम लेकर ही प्रात: उठते हैं। आपके आशीर्वाद की याचना करते हैं। आप हम सभी जनों का मंगल करने वाले हैं। आपकी जय हो। सभी आपकी ही जय की गाथा गायेंगे। हे! जन और गण का मंगल करने वाले आपकी जय हो। आप भारत के भाग्य विधाता हैं। आपकी जय हो, जय हो, जय हो। जय, जय, जय, जय हो।