लखनऊ। यूपी की चार बार मुख्यमंत्री रहीं और दलितों की सबसे बड़ी नेता मायावती आज यानी की 15 जनवरी को अपना 69वां जन्मदिन मना रही हैं। बसपा प्रमुख मायावती को बचपन में पढ़ने-लिखने का शौक था। वहीं उनकी राजनीति में एंट्री भी बेहद दिलचस्प है।
मायावती के परिवार से कोई भी राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं था। वह शिक्षिका बन सकती थीं, लेकिन अचानक से उन्होंने राजनीति में कदम रखा। वर्तमान समय में मायावती उत्तर प्रदेश की राजनीति का दमदार चेहरा हैं। गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर गांव में 15 जनवरी 1956 को मायावती का जन्म हुआ था।
इनके पिता का नाम प्रभुदास था, जोकि सरकारी कर्मचारी थे। वहीं मायावती के बचपन का नाम चंद्रावती था। उनको बचपन से ही पढ़ने-लिखने का काफी शौक था। शुरूआती पढ़ाई के बाद मायावती आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली पहुंची। यहां पर साल 1975 में उन्होंने दिल्ली के कालिंदी कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की।
फिर गाजियाबाद से बीएड की डिग्री हासिल की। इसके बाद मायावती ने कुछ समय तक बतौर शिक्षिका भी काम किया।प्रशासनिक सेवा का सपना देखने वाली मायावती ने बतौर शिक्षिका अपने करियर की शुरूआत की थी। लेकिन बाद में वह राजनीति में आ गईं।
मायावती शुरूआत से बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर से प्रभावित थीं। फिर बाद में वह कांशीराम के संपर्क में आईं। साल 1977 में कांशीराम मायावती के घर आए, जहां दोनों की मुलाकात हुई थी। इस दौरान कांशीराम भी मायावती के विचारों से प्रभावित हुए। फिर साल 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की, तो इसमें मायावती को भी शामिल किया।
यह बहुत कम लोगों को पता होगा कि मायावती के पिता नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी राजनीति में आए। लेकिन पिता की मर्जी के खिलाफ जाकर मायावती ने कांशीराम की पार्टी ज्वाइन की और बसपा की कोर टीम में शामिल हो गईं। इस वजह से मायावती के पिता ने उनसे रिश्ता तोड़ लिया।
मायावती ने अपनी राह चुन ली थी। वह दलितों की आवाज बनने का सपना लेकर उत्तर प्रदेश की राजनीति में शामिल हो गईं। बता दें कि मायावती 4 बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं। सबसे पहले साल 1995 में मायावती यूपी की सीएम बनीं और फिर साल 1997 में और साल 2002 में यूपी की सत्ता संभाली। इसके बाद साल 2007 में जनता ने एक बार फिर मायावती को सीएम चुना। इसी दौरान मायावती ने अपने कार्यकाल में अंबेडकर नगर का गठन किया।