प्रयागराज। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को महाकुंभ मेला क्षेत्र में ऐरावत घाट पर आयोजित एक निजी चैनल के कार्यक्रम में कहा कि किसी भी विवादित ढांचे को मस्जिद नहीं कहा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस दिन हम मस्जिद शब्द का प्रयोग बंद कर देंगे, उस दिन लोग भी वहां जाना बंद कर देंगे।
उन्होंने यह भी कहा कि यह इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है कि किसी की आस्था को ठेस पहुंचाकर वहां मस्जिद जैसी संरचना बनाई जाए। अगर किसी स्थान पर इबादत की इजाजत खुदा से नहीं है, तो वहां इबादत करना व्यर्थ है।
मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि इस्लाम में उपासना के लिए किसी विशेष संरचना की आवश्यकता नहीं है, जबकि यह सनातन धर्म में अनिवार्य है, जहां लोग मंदिर में पूजा करते हैं। उन्होंने कहा कि हमें किसी भी विवादित ढांचे को मस्जिद कहने की जिद नहीं करनी चाहिए।
यह समय नये भारत के निर्माण के बारे में सोचने और एक साथ आगे बढ़ने का है। योगी आदित्यनाथ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी से इस दिशा में ध्यान केंद्रित करने की अपील की।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक वर्ष पहले अयोध्या में 500 वर्षों का इंतजार समाप्त करके रामलला का विराजमान होना और 144 वर्षों बाद इस तरह के मुहूर्त में महाकुंभ का होना, ये ईश्वर की कृपा है। सीएम योगी ने कहा कि महाकुम्भ में पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों के साथ दक्षिण भारत के राज्यों से संतों का आगमन नहीं हो पाता था।
वहीं इस बार महाकुंभ में एक भारत, श्रेष्ठ भारत की तस्वीर देखने को मिलेगी। यहां हर जगह से संतों और श्रद्धालुओं की मौजूदगी होगी। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी अगले 45 दिनों में प्रयागराज की त्रिवेणी में डुबकी लगाएगी।
सीएम योगी ने विपक्ष के वार पर पलटवार करते हुए कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि बीजेपी ने खुद को महाकुम्भ के आयोजन से जोड़ा है। इस आस्था को नई ऊंचाई देने से किसने रोका था। 2017 के पहले यही आयोजन गंदगी का पर्याय बनता था और अव्यवस्था होती थी।
2013 के महाकुंभ में क्या स्थिति थी। उन्होंने कहा कि मॉरिशस के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्नान करने आए थे और अव्यवस्था गंदगी देख आंखों से आंसू बहाकर दुखी मन से कहा था कि क्या यही गंगा है और वापस चले गये थे।