लखनऊ। उत्तर प्रदेश ने टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) मरीजों की पहचान और उनके इलाज में देशभर में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है। साल 2024 में उत्तर प्रदेश को 6.5 लाख टीबी मरीजों के चिह्नीकरण का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन राज्य ने इस लक्ष्य को पार करते हुए 6.73 लाख मरीजों की पहचान की और एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया। यह लगातार दूसरा साल है जब उत्तर प्रदेश ने टीबी नोटिफिकेशन में देश में पहला स्थान हासिल किया है।
यह उपलब्धि राज्य सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं और टीबी नियंत्रण कार्यक्रमों की सफलता को दर्शाती है। उत्तर प्रदेश में सरकार ने टीबी की पहचान और इलाज के लिए व्यापक प्रयास किए हैं, जैसे की जागरूकता अभियान, रोगियों का समय पर उपचार, और स्वास्थ्यकर्मियों की सक्रिय भागीदारी। इन प्रयासों से न केवल टीबी के मामलों की पहचान में वृद्धि हुई है, बल्कि मरीजों के इलाज और स्वस्थ जीवन के प्रति राज्य का समर्पण भी स्पष्ट हुआ है।
टीबी नोटिफिकेशन में निजी डॉक्टरों की भूमिका बेहद अहम रही। प्रदेश में चिन्ह्ति 6.73 लाख मरीजों में से लगभग 40 प्रतिशत, यानी ढाई लाख से अधिक मरीजों की पहचान निजी डॉक्टरों के माध्यम से हुई। यह सरकारी और निजी दोनों क्षेत्र के चिकित्सकों की साझेदारी का नतीजा है। टीबी नोटिफिकेशन में यूपी के बाद दूसरे स्थान पर महाराष्ट्र रहा, जहां सवा दो लाख मरीजों का पंजीकरण हुआ। तीसरे स्थान पर बिहार रहा, जहां 2 लाख मरीजों की पहचान हुई। इसके बाद मध्य प्रदेश में 1.78 लाख और राजस्थान में 1.70 लाख मरीज चिन्ह्ति हुए।
इस सफलता से यह साबित होता है कि उत्तर प्रदेश ने स्वास्थ्य क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से लिया है और टीबी जैसी गंभीर बीमारी के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए अधिक से अधिक मरीजों की पहचान और उनका इलाज जरूरी है। उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन यह दर्शाता है कि सही रणनीति और निजी-सरकारी साझेदारी से बड़ी बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है।