अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस प्रतिवर्ष 9 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ जागरूकता फैलाना और इस पर काबू पाने के लिए वैश्विक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। संयुक्त राष्ट्र ने 31 अक्टूबर 2003 को भ्रष्टाचार-निरोधी समझौता पारित किया था, जिसके बाद से यह दिवस मनाना शुरू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य एक समृद्ध, ईमानदार, पारदर्शी और नैतिक समाज का निर्माण करना है, और इसके लिए भ्रष्टाचार का उन्मूलन आवश्यक है। भ्रष्टाचार कोई एक देश, समाज या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। यह पूरी दुनिया में व्याप्त एक गंभीर समस्या है, जिसने न केवल सार्वजनिक संस्थाओं बल्कि व्यक्तिगत और सांस्कृतिक मूल्यों को भी प्रभावित किया है। भ्रष्टाचार के कारण सत्ता में बैठे लोग और संस्थाएं अपनी निजी स्वार्थों के लिए सार्वजनिक संसाधनों का दुरुपयोग करती हैं, जिससे समाज का विकास रुक जाता है और आम आदमी को इसका सीधा नुकसान होता है।
भ्रष्टाचार के विरोध में कई कदम उठाए गए हैं, लेकिन भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए जरूरी है कि एक ठोस और निरंतर प्रक्रिया अपनाई जाए। इसमें सबसे बड़ा काम है लोगों के मानसिकता में बदलाव लाना और सच्चाई की ओर रुझान बढ़ाना। आजकल भ्रष्टाचार के उदाहरण राजनीति से लेकर व्यापार तक, हर जगह देखने को मिलते हैं। संसद में नोटों का बंडल मिलना, सांसदों का खरीद-फरोख्त, और मनमोहन सिंह की सरकार को बचाने के लिए सांसदों को खरीदने का प्रयास (2008 का अविश्वास प्रस्ताव) जैसे घटनाएं भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाती हैं।
वर्तमान सरकार की नीति और नियत दोनों देश को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने की है, लेकिन उसका असर दिखना चाहिए। विभिन्न राजनीतिक दल जनता के सेवक बनने की बजाय स्वामी बन बैठे। मोदी ने इस सड़ी-गली और भ्रष्ट व्यवस्था को बदलने का बीड़ा उठाया और उसके परिणाम भी देखने को मिले। प्रधानमंत्री का स्वयं को प्रधानसेवक कहना विपक्ष के लिये जुमलेबाजी का विषय हो सकता है, लेकिन लोकतंत्र में लोक विश्वास, लोक सम्मान जब ऊर्जा से भर जाए तो लोकतंत्र की सच्ची संकल्पना आकार लेने लगती है। मोदी ने लोकतंत्र में लोक को स्वामी होने का एहसास बखूबी कराया है। लेकिन प्रश्न यह है कि यही लोक अब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ जागृत क्यों नहीं हो रहा है? जन-जागृति के बिना भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं किया जा सकता। भ्रष्टाचार की चरम पराकाष्ठा के बीच मोदी रूपी एक छोटी-सी किरण जगी है, जो सूर्य का प्रकाश भी देती है और चन्द्रमा की ठण्डक भी। और सबसे बड़ी बात, वह यह कहती है कि ‘अभी सभी कुछ समाप्त नहीं हुआ। अभी भी सब कुछ ठीक हो सकता है।’ भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े लोग एक दूसरे के कान में कह रहे हैं, इस देश ने भ्रष्टाचार की अनेक आंधियाँ अपने सीने पर झेली हैं, तू तूफान झेल लेना, पर भारत की ईमानदारी, नैतिकता एवं सदाचार के दीपक को बुझने मत देना।
भ्रष्टाचार और काले घन के खिलाफ जो माहौल बना निश्चित ही एक शुभ संकेत है देश को शुद्ध सांसें देेने का। क्योंकि हम गिरते गिरते इतने गिर गये कि भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार बन गया। राष्ट्रीय चरित्र निर्माण, नैतिकता, पारदर्शिता की कहीं कोई आवाज उठती भी थी तो ऐसा लगने लगता है कि यह विजातीय तत्व है जो हमारे जीवन में घुस रहा है। जिस नैतिकता, प्रामाणिकता और सत्य आचरण पर हमारी संस्कृति जीती रही, सामाजिक व्यवस्था बनी रही, जीवन व्यवहार चलता रहा, वे आज लुप्त हो गये हैं। उस वस्त्र को जो राष्ट्रीय जीवन को ढके हुए था आज हमने उसे तार-तारकर खूंटी पर टांग दिया है। मानों वह हमारे पुरखों की चीज थी, जो अब इतिहास की चीज हो गई। लेकिन देर आये दुरस्त आये कि भांति अब कुछ संभावनाएं मोदी ने जगाई है, इस जागृति से कुछ सबक भी मिले हैं और कुछ सबब भी है। इसका पहला सबब तो यही है कि भ्रष्टाचार की लडाई चोले से नहीं, आत्मा से ही लड़ी जा सकती है। दूसरा सबब यह है कि धर्म और राजनीति को एक करने की कोशिश इस मुहिम को भोंथरा कर सकती है। तीसरा सबब है कि कोई गांधी या कोई गांधी बन कर ही इस लड़ाई को वास्तविक मंजिल दे सकता है। एक सबब यह भी है कि कांग्रेस एवं अन्य विपक्षी दलों से भ्रष्टाचारमुक्ति की आशा करना, अंधेरे में सूई तलाशना है।
विभिन्न देशों में भ्रष्टाचार की सीमा को मापने का एक तरीका भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक है, जिसे ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है, जो नीति निर्माताओं और संगठनों को भ्रष्टाचार रूपी समस्याओं को पहचानने और भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए बेहतर रणनीति बनाने में मदद करता है। ग्लोबल करप्शन परसेप्शन इंडेक्स में भारत की स्थिति चिंताजनक रही है। 2023 में भारत 40 अंकों के साथ 180 देशों में 93वें स्थान पर था। यह स्कोर दर्शाता है कि भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए भारत को अभी भी लंबा रास्ता तय करना है। भारत ने भ्रष्ट आचरण पर अंकुश लगाने और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए कई भ्रष्टाचार विरोधी कानून और नीतियां लागू की हैं। इन ढांचों का उद्देश्य जवाबदेही को मजबूत करना और नैतिक शासन सुनिश्चित करना है। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 यह भ्रष्टाचार को परिभाषित करता है और लोक सेवकों द्वारा किए गए अपराधों के लिए दंड निर्धारित करता है। इसे 2018 में संशोधित किया गया और रिश्वत देने वालों के लिए दंड को शामिल करने के लिए पीसीए के दायरे का विस्तार किया गया। भारतीय न्याय संहिता, 2023 इस अधिनियम ने भारतीय दंड संहिता, 1860 का स्थान लिया। इसने भ्रष्टाचार से संबंधित विभिन्न प्रावधानों का आधुनिकीकरण और सुधार किया तथा रिश्वतखोरी के लिए दंड का प्रावधान किया।
आदर्श सदैव ऊपर से आते हैं। लेकिन आजादी के बाद की सरकारों एवं राजनीतिक दलों के शीर्ष पर इसका अभाव रहा है। वहां मूल्य बने ही नहीं हैं, फलस्वरूप नीचे तक, साधारण से साधारण संस्थाएं, संगठनों और मंचों तक स्वार्थ सिद्धि और नफा-नुकसान छाया हुआ रहा है। सोच का मापदण्ड मूल्यों से हटकर निजी हितों पर ठहरता गया है। यहां तक धर्म का क्षेत्र एवं तथाकथित चर्चित बाबाओं की आर्थिक समृद्धियों ने इस बात को पुष्ट किया है। क्योंकि वे खुद संन्यासी होने के बावजूद फकीर नहीं रह पाए। वह अरबपति बन गये, कारोबारी होे गये, कोरपोरेटर हो गये। इन बाबाओं के साथ जो विडम्बना है वह यह है कि वे यह सब करते हुए भी गांधी बनना चाहते हैं, गांधी दिखना चाहते हैं। पैसा और ताकत ही अगर देश में ज्वार पैदा कर पाते, तो आज तक कई अरबपति देश की सत्ता पर काबिज हो गये होते, कोई चाय बेचने पर प्रधानमंत्री नहीं बन पाता। यही लोकतंत्र की विशेषता एवं प्राण ऊर्जा है, जिस पर देश टिका है।
भ्रष्टाचार ने समाज में विश्वास का संकट पैदा किया है। आज का व्यक्ति चौराहे पर खड़ा होकर भी सही रास्ता दिखाने वाले व्यक्ति को भी संदिग्ध दृष्टि से देखता है। यह हमारे समाज की नैतिक स्थिति को कमजोर करता है, और इससे न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में बल्कि विकास के प्रयासों में भी रुकावट आती है। भ्रष्टाचार एक गंभीर अपराध है, जो समाज के नैतिक, सामाजिक और आर्थिक विकास को न केवल रोकता है बल्कि कमजोर करता है। इस दिन को मनाकर हम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत और पारदर्शी वातावरण बनाने की दिशा में कदम उठा सकते हैं। इसके लिए न केवल सरकारों और संस्थाओं का सहयोग आवश्यक है, बल्कि हर नागरिक को इस मुहिम में भागीदार बनकर इसे समाप्त करने के प्रयास करने होंगे।