हिंदू धर्म में शनिवार का दिन विशेष रूप से भगवान शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है और उन्हें कर्मों का फल देने वाला भी माना जाता है। शनिवार को उनके पूजन से व्यक्ति के जीवन में आने वाली परेशानियों का निवारण होता है, क्योंकि शनिदेव को सही कर्मों और निष्कलंक नीतियों का पालन करने वाला देवता माना जाता है। 00शनिदेव की कृपा और आशीर्वाद के भागी बनना चाहते हैं, तो पूरी भक्तिभाव से उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इससे न्याय के देवता शनिदेव की कृपा आप पर जरूर बरसेगी।
जानिए कैसे मिला वरदान
बता दें कि देवी छाया के लिए सूर्य देव की कुंठित भावना थी। इसी वजह से सूर्य देव के साथ शनिदेव का कटु संबंध था। सूर्य देव का अपनी मां छाया के प्रति रुष्ट व्यवहार देखकर शनि अपने पिता सूर्य देव से अप्रसन्न रहते थे। धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि देवी छाया महादेव की भक्त थीं और वह भोलेनाथ की कठिन भक्ति करती थीं। ऐसे में वह भक्ति में इतनी लीन हो जाती थीं कि उनको अपनी भी सुध नहीं रहती थी।
जब शनिदेव अपनी मां के गर्भ में थे, तो भी वह महादेव की कठिन भक्ति किया करती थीं। जिसका प्रभाव शनिदेव पर पड़ा और वह श्याम रूप में जन्में। शनिदेव का श्याम रूप देखकर सूर्यदेव ने अपनी पत्नी छाया पर आरोप लगाते हुए कहा कि शनिदेव उनके पुत्र नहीं हैं। वहीं सूर्य देव अपनी पत्नी देवी छाया से नाराज रहने लगे। अपनी मां के प्रति पिता का यह व्यवहार देखकर शनिदेव भगवान सूर्य नारायण से कुंठित रहने लगे थे। वहीं आत्मा के कारक सूर्य को शनि देव अपना शत्रु मानते थे।
इसी वजह से शनिदेव ने नवग्रहों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त करने का प्रण लिया और वह अपनी मां छाया के सच्चे भक्त बनें। शनिदेव को भक्ति अपनी मां छाया से विरासत में मिली थी। ग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान पाने के लिए शनिदेव ने भोलेनाथ की कठिन तपस्या की। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने उनको न्याय करने का वरदान दिया और साथ में मोक्ष प्रदान करने का भी आशीर्वाद दिया। भगवान शिव के दिए इस वरदान से वह ग्रहों में श्रेष्ठ बनें और उन्हें न्याय करने का अधिकार प्राप्त हुआ।
शनिवार का व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होता है, जो शनि ग्रह के प्रभाव से प्रभावित होते हैं, जैसे शनि की महादशा या साढ़ेसाती के समय। इस दिन उपवास रखने और शनिदेव की पूजा करने से जीवन की परेशानियाँ कम होती हैं, और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। इसके साथ ही, यह पूजा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, संतुलन और सफलता भी प्राप्त होती है।पूजा में तेल का दीपक जलाना, तिल या काले वस्त्र का दान करना, और शनि के मंत्रों का जाप करना बेहद प्रभावशाली माना जाता है। साथ ही, गरीबों या ब्राह्मणों को दान देने से पुण्य भी मिलता है।
इस दिन शनि के प्रति श्रद्धा और समर्पण से जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं। शनिदेव व्रत हिंदू धर्म में विशेष रूप से शनिवार को रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है, जो भगवान शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है, और उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में कर्मों के हिसाब से होता है। शनि के प्रभाव को संतुलित करने के लिए लोग विशेष रूप से शनिवार को व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं।