केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में महाराष्ट्र के ठाणे शहर में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस ही थी जिसने 1975 में आपातकाल के दौरान भारतीय संविधान में संशोधन किया, लेकिन अब वही पार्टी बेबुनियाद आरोप लगा रही है कि भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) संविधान को बदलने की योजना बना रही है। गडकरी ने कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि कोई भी राजनीतिक पार्टी या सरकार संविधान की मुख्य विशेषताओं, जैसे कि धर्मनिरपेक्षता और लोकतांत्रिक मूल्यों में बदलाव नहीं कर सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय संविधान देश की सर्वोच्च और स्थायी धारा है, और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।
गडकरी ने यह बयान महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिया, जो 20 नवंबर, 2024 को होने वाले हैं। उनकी यह टिप्पणी कांग्रेस और भाजपा के बीच संविधान और उसके मूल्यों के संरक्षण को लेकर चल रहे राजनीतिक विवादों के संदर्भ में आई। भाजपा पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वह संविधान की धारा और संस्थाओं को प्रभावित करने का प्रयास कर सकती है, लेकिन गडकरी ने इन आरोपों को खारिज किया।
यह बयान खासकर चुनावी माहौल में महत्त्वपूर्ण है, जहां विभिन्न दलों के बीच अपनी नीतियों और योजनाओं को लेकर तीखी बयानबाजी हो रही है। गडकरी ने यह भी कहा कि संविधान के मूल सिद्धांतों के प्रति भाजपा पूरी तरह प्रतिबद्ध है, और पार्टी के लिए यह मुद्दा बहुत गंभीर है। यहां गडकरी का इशारा उस समय की ओर था जब कांग्रेस सरकार ने 1975 में आपातकाल घोषित किया था, जिसके तहत संविधान में कई संशोधन किए गए थे। तब इंदिरा गांधी की सरकार ने आपातकाल के दौरान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को निलंबित कर दिया था, जिसे अब तक एक विवादास्पद निर्णय माना जाता है। गडकरी का बयान इस संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भाजपा पर अक्सर यह आरोप लगाए जाते हैं कि वह संविधान के मूल सिद्धांतों में बदलाव की कोशिश कर सकती है, खासकर धार्मिक और सांस्कृतिक मसलों पर।