
धार्मिक मान्यता के अनुसार, देव दीपावली के दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से व्यक्ति के जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मणिकर्णिका घाट का विशेष महत्व है, क्योंकि इसे मृत्यु और पुनर्जन्म के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। काशी के इस घाट को सबसे पवित्र माना जाता है, और यहाँ स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं, चाहे वे इस जन्म के हों या पिछले जन्मों के।
मणिकर्णिका घाट का महत्व:
मणिकर्णिका घाट वह स्थान है जहाँ हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु के बाद की क्रियाएं और संस्कार किए जाते हैं। यहाँ पर अग्नि से शवों का संस्कार किया जाता है, और माना जाता है कि यह घाट मुक्ति का स्थान है। यही कारण है कि यहां स्नान करने से व्यक्ति के जीवन के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे मुक्ति प्राप्त होती है।
देव दीपावली के दिन काशी के इस घाट पर स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के सभी पापों का नाश होता है। यह स्नान आध्यात्मिक शुद्धि और पुण्य की प्राप्ति का मार्ग खोलता है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है और उसका जीवन सद्गति की ओर अग्रसर होता है।
देव दीपावली के दिन, माना जाता है कि सभी देवता बनारस के गंगा घाटों पर दीप जलाने और पूजा करने आते हैं। इस दिन का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह माना जाता है कि देवी-देवताओं के सान्निध्य में स्नान करने से व्यक्ति को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति और धार्मिक शुद्धि मिलती है। यह स्थान संस्कारों, शुद्धता और सद्गति का प्रतीक है। यहां स्नान करने से व्यक्ति अपने जीवन के दु:खों और कष्टों से मुक्त होता है और उसे जीवन में शांति का अनुभव होता है।
इस घाट को मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्तम स्थान माना जाता है, क्योंकि यह वह जगह है जहाँ से आत्मा सीधे परमात्मा से जुड़ने का मार्ग प्राप्त करती है। देव दीपावली के दिन मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं और उसे आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त होती है।
देव दीपावली के दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर स्नान करने से ना केवल पापों का नाश होता है, बल्कि व्यक्ति को आध्यात्मिक शुद्धि, पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह अवसर जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने और आत्मा की शांति की प्राप्ति का सर्वोत्तम समय होता है। इस दिन काशी के घाटों पर लाखों दीप जलाने से वातावरण में एक अद्वितीय दिव्यता और शांति का संचार होता है।