आज 5 नवंबर को भारतीय संगीत के एक महान हस्ताक्षर, भूपेन हजारिका का निधन हुआ था। भूपेन हजारिका का संगीत और उनकी आवाज आज भी भारतीय सिनेमा और संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित है। असम से लेकर हिंदी सिनेमा तक, उन्होंने संगीत के क्षेत्र में अपार योगदान दिया। वे न सिर्फ एक संगीतकार, बल्कि एक गायक, गीतकार, और निर्माता भी थे।
भूपेन हजारिका की आवाज ने भारतीय संगीत में एक खास पहचान बनाई। उन्होंने न केवल असमिया फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया, बल्कि हिंदी सिनेमा में भी अपनी ध्वनि और संगीत का जादू फैलाया। उनके द्वारा रचित कई गाने आज भी लोगों के दिलों में बसे हुए हैं। उनके संगीत में आमतौर पर गहरे सामाजिक और मानवीय मुद्दों को छुआ गया था, और उनकी आवाज में एक आत्मीयता और गहराई थी जो श्रोताओं को एक अद्वितीय अनुभव देती थी।
भूपेन हजारिका को उनके अद्वितीय संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री, पद्मभूषण, और पद्मविभूषण जैसे सम्मान मिले थे, साथ ही उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और अन्य कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान भी मिले थे।
उनकी रचनाएं, जैसे कि “दिल होम होम करे,” “मानुष मनुष्य हो,” और “बिस्मिल है” जैसी धुनें आज भी लोगों के दिलों में गूंजती हैं। बता दें कि भूपेन हजारिका को कई भाषाओं का ज्ञान था। वहीं बंगाली के गानों को हिंदी में अनुवाद कर अपनी आवाज देते थे। पहली पत्नी से अलग हो जाने के बाद हजारिका ने संगीत को ही अपना सच्चा साथी बना लिया था। उन्होंने ‘रुदाली’,’साज’, ‘मिल गई मंजिल मुझे’,’दरमियां’, ‘गाजगामिनी’ जैसी सुपरहिट फिल्मों में गीत दिए।। भूपेन हजारिका का संगीत न केवल भारतीय सिनेमा के लिए, बल्कि पूरे संगीत जगत के लिए एक अमूल्य धरोहर है।
हालांकि वे अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी रचनाएं, उनकी आवाज़ और उनके द्वारा छोड़ी गई संगीत की धरोहर हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।
असमी से लेकर हिंदी सिनेमा की म्यूजिक इंडस्ट्री दिग्गज संगीतकार भूपेन हजारिका का 05 नवंबर को निधन हो गया था। उन्होंने न जाने ही कितनी फिल्मों के लिए संगीत तैयार किया था। साथ ही न जाने कितने गानों में अपनी आवाज दी थी।