विदेश मंत्री एस जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा के संबंध में कई राजनीतिक विश्लेषक और विशेषज्ञ चिंतित हैं। जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि उनकी यह यात्रा केवल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समिट तक सीमित रहेगी और इसके अलावा पाकिस्तान से कोई बातचीत नहीं होगी।
इस दौरान, रावलपिंडी में भारतीय एयरफोर्स का एक विमान हाई सिक्योरिटी में लैंड किया, जिससे पाकिस्तान की राजनीतिक हुकूमत में बेचैनी बढ़ गई। जयशंकर ने अपनी उपस्थिति से यह दर्शाया कि भारत की विदेश नीति के प्रति पाकिस्तान की चिंता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
पाकिस्तान में इस यात्रा के चलते विरोध प्रदर्शनों की स्थिति तक बन गई, जिससे देश में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अलर्ट जारी किया गया। ऐसे में, पाकिस्तान की नजर भारत पर है, जबकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसका रवैया पाकिस्तान के प्रति क्या रहने वाला है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में शामिल होने के लिए इस्लामाबाद पहुंचे हैं। यह पिछले करीब एक दशक में किसी वरिष्ठ भारतीय मंत्री की पाकिस्तान यात्रा है, जो दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण संबंधों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है।
जयशंकर का विमान स्थानीय समयानुसार अपराह्न करीब 3.30 बजे नूर खान हवाई अड्डे पर उतरा, जहां उन्हें पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वागत किया। पिछले नौ वर्षों में यह पहली बार है जब भारत का विदेश मंत्री पाकिस्तान आया है, जबकि दोनों देशों के बीच कश्मीर मुद्दे और सीमापार आतंकवाद के कारण संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं।
विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शासन प्रमुखों की परिषद (सीएचजी) की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई करेंगे। उन्होंने एक्स पर साझा करते हुए लिखा, “एससीओ के शासन प्रमुखों की परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए इस्लामाबाद पहुंचा हूं।”
जयशंकर ने हवाई अड्डे पर स्वागत करने वाले कुछ बच्चों और अधिकारियों के साथ अपनी तस्वीरें भी साझा कीं। यह यात्रा सुषमा स्वराज के विदेश मंत्री के रूप में पाकिस्तान की अंतिम यात्रा के बाद हो रही है, जब उन्होंने दिसंबर 2015 में अफगानिस्तान पर ‘हार्ट ऑफ एशिया’ सम्मेलन के लिए इस्लामाबाद का दौरा किया था। उस समय जयशंकर भारत के विदेश सचिव थे और सुषमा स्वराज के शिष्टमंडल का हिस्सा थे।
स्वराज की उस यात्रा के दौरान, उन्होंने तत्कालीन पाक विदेश मंत्री सरताज अजीज के साथ बातचीत की थी, जिसके परिणामस्वरूप एक संयुक्त बयान जारी हुआ था, जिसमें दोनों पक्षों ने समग्र द्विपक्षीय संवाद शुरू करने का निर्णय लिया था।