परीक्षा की जिम्मेदारी एक संस्था को नहीं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार प्रदेश स्तर पर आयोजित होनी वाली प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फूल प्रूफ तैयारी कर रही है। इस संबंध में जारी शासनादेश के अनुसार प्रश्नपत्र संबंधी कार्य अलग-अलग बांट कर पूरा किया जायेगा। इसके लिये चार अलग-अलग एजेंसियों को जिम्मेदारी दी जाएगी। सरकारी या वित्त पोषित शिक्षण संस्थान ही परीक्षा केंद्र बनेंगे। पांच लाख से ज्यादा परीक्षार्थी होने पर दो चरणों में परीक्षा होगी। उत्तर प्रदेश शासन में अपर मुख्य सचिव, नियुक्ति एवं कार्मिक डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने इस संबंध में शासनादेश सभी भर्ती आयोगों को भेज दिया है। नये निर्देशों के तहत वित्त विहीन स्कूलों व कॉलेजों को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा। परीक्षा केंद्रों का चयन दो  श्रेणियों में किया जाएगा। पहली श्रेणी में राजकीय माध्यमिक विद्यालय, राजकीय डिग्री कॉलेज और केंद्र के विश्वविद्यालय समेत राजकीय संस्थान शामिल होंगे। दूसरी श्रेणी में गैर विवादित व पूर्व में काली सूची में न रहीं शैक्षणिक संस्थाओं को शामिल किया जाएगा।

नये शासनदेश के अनुसार चयन आयोग और बोर्ड परीक्षा का संपूर्ण कार्य एक ही एजेंसी को नहीं देंगे। प्रश्नपत्र तैयार करने, छपवाने व कोषागार में पहुंचाने की जिम्मेदारी एक एजेंसी की होगी। प्रश्नपत्रों को कोषागार से परीक्षा केंद्रों तक पहुंचाने, परीक्षा केंद्र की सभी व्यवस्था और परीक्षा के बाद ओएमआर शीट पहुंचाने का काम दूसरी एजेंसी का होगा। परीक्षा केंद्र पर सुरक्षा संबंधी सभी व्यवस्था के लिए तीसरी एजेंसी और ओएमआर शीट की स्कैनिंग आयोग व बोर्ड परिसर में ही कराकर परीक्षा का स्कोर चयन उपलब्ध कराने के लिए चैथी एजेंसी की सेवाएं ली जाएंगी। परीक्षा नियंत्रक प्रश्नपत्र छापने वाली एजेंसी का नियमित निरीक्षण करेंगे।

इसी तरह से प्रत्येक पाली की परीक्षा के लिए कम से कम दो या अधिक पेपर सेट होंगे। प्रत्येक सेट के प्रश्नपत्र की छपाई अलग-अलग एजेंसी के माध्यम से होगी। कौन सा प्रश्नपत्र उपयोग में आएगा, उसको परीक्षा के दिन परीक्षा शुरू होने के अधिकतम 5 घंटे पूर्व तय किया जाए। प्रत्येक सीरीज के अंतर्गत प्रश्न अलग-अलग क्रमांक पर होंगे। विकल्प भी अलग-अलग क्रमांक पर होंगे। अलग-बगल के अभ्यर्थियों को अलग सीरीज के प्रश्नपत्र मिलेंगे। शुचिता और गोपनीयता के लिहाज से चयन आयोगों को शासन स्तर के शीर्ष अधिकारियों और एसटीएफ के संपर्क में रहना होगा।

नई व्यवस्था के अनुसार परीक्षा केंद्र बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन और कोषागार से 10 किमी की परिधि में होंगे। परीक्षा केंद्र शहर की आबादी के अंदर होंगे। सीसीटीवी की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। केंद्र के संबंध में एलआईयू से रिपोर्ट जरूर ली जाएगी। परीक्षा में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग कर परीक्षा के दौरान संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान व बायोमीट्रिक से पुष्टि की जाएगी। इसी प्रकार प्रत्येक जिले में परीक्षा केंद्रों के चयन के लिए डीएम की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति होगी। इसमें एसएसपी, एसपी या उनके प्रतिनिधि, नोडल अधिकारी परीक्षा, जिलास्तरीय एनआईसी अधिकारी, उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा अधिकारी और डीआईओएस सदस्य होंगे।

इसी प्रकार शासनादेश में आगे कहा गया है कि प्रेस के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। रिकॉडिंग एक वर्ष तक सुरक्षित रखी जाए। चार लाख से अधिक अभ्यर्थियों वाली या अन्य संवेदनशील परीक्षाओं में परीक्षा से पहले मुख्य सचिव, डीजीपी, अपर महानिदेशक एसटीएफ, चयन आयोग के अध्यक्ष व अन्य अधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से तैयारी बैठक हो। लिखित परीक्षा के समय कैप्चर किए गए परीक्षार्थियों के बायोमीट्रिक डाटा का मिलान सफल अभ्यर्थियों के काउंसिलिंग के समय अवश्य किया जाए। एक से अधिक जिलों में परीक्षा होने पर केंद्र गृह मंडल के बाहर आवंटित होगा। दिव्यांग अभ्यर्थियों को उनके गृह जिले और महिला परीक्षार्थी को उनके गृह मंडल के बाहर परीक्षा केंद्र आवंटित नहीं होगा। कोषागार से प्रश्नपत्र लाने और ले जाने की वीडियोग्राफी होगी।

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