सीएए कानून पर अमेरिका नाराज

नई दिल्ली: भारत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू कर दिया है। नए कानून को लेकर अमेरिका और भारत के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। इस बीच भारत में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि यूएस सिद्धांतों को नहीं छोड़ सकता। इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में बोलते हुए उन्होंने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता और समानता का सिद्धांत लोकतंत्र की आधारशिला है। अमेरिका ने कहा कि वह सीएए को लेकर चिंतित है और इसके क्रियान्वयन पर करीबी से नजर रख रहा है, जिस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

राजदूत ने कहा, ‘आप अपने सिद्धांतों को नहीं छोड़ सकते। आप चाहे दोस्तों के कितने ही करीबी क्यों न हों या आपके सामने दुश्मन ही क्यों न हो। लेकिन आप सिद्धांतों के लिए खड़े रहते हैं।’ गार्सेटी ने आगे कहा, ‘हम आपको हमारे अपूर्ण लोकतंत्र के लिए भी ऐसा करने को आमंत्रित करते हैं। यह एकतरफा रास्ता नहीं है।’ सीएए को लेकर अमेरिका ने विरोध जताया है। गार्सेटी का बयान तब आया है जब विदेश मंत्रालय ने अमेरिका की टिप्पणियों पर जवाब देते हुए कहा था कि आंतरिक मामलों में लेक्चर देने की जरूरत नहीं है।

केंद्र सरकार ने 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लागू किया है। CAA 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आने वाले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देता है। यह पूछे जाने पर कि आगामी राष्ट्रपति चुनावों के नतीजे भारत के साथ संबंध कैसे प्रभावित करेंगे? इस पर गार्सेटी ने कहा कि दोनों देशों के संबंध इस बात से निर्धारित नहीं होता कि टॉप पर कौन है।

अमेरिका ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम सीएए की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं। अमेरिका इसके क्रियान्वयन पर नजर रखे हुए है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम 11 मार्च को जारी की गई नागरिकता (संशोधन) अधिनियम की अधिसूचना को लेकर चिंतित हैं। हम इस बात पर निकटता से नजर रख रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा।’

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