भारत ने दिखाया कि कश्मीर उनका है

इस्लामाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 7 मार्च को जम्मू और कश्मीर का दौरा किया। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यह उनका पहला दौरा था। उन्होंने बक्शी स्टेडियम में एक बड़ी रैली को संबोधित किया, जिसमें कम से कम 100000 लोग मौजूद रहे है। इसके अलावा पीएम मोदी ने 6400 करोड़ रुपए की योजनाओं के प्रोजेक्ट शुरू किए। जम्मू कश्मीर के विकास और टूरिज्म को बढ़ावा देने की बात उन्होंने कही, जिसकी चर्चा अब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में भी हो रही है। पाकिस्तान इसे ‘आजाद कश्मीर’ कहता है, लेकिन लोगों ने कहा कि न तो कश्मीर में आजादी है और न पाकिस्तान में।

पाकिस्तानी यूट्यूबर सुहैब चौधरी ने POK में बिजली के बिलों को लेकर प्रदर्शन कर रहे लोगों से बात की। शौकत नाम के एक शख्स ने कहा, ‘कश्मीर से बड़ी मात्रा में बिजली पाकिस्तान के नेशनल ग्रिड में जा रही है। हमारी मांग है कि उसी लागत पर बिजली दी जाए, जिसपर बिजली बनती है।’ भारत से तुलना पर इन्होंने आगे कहा, ‘भारत में बिजली का बेहद कम रेट है। वहां 7 पाकिस्तानी रुपए प्रति यूनिट बिजली मिलती है तो यहां 30 रुपए से ऊपर बिजली का रेट है। कॉमर्शियल 40-50 तक पहुंच रहा है।’

शौकत ने कहा, ‘पूरे POK में बिना किसी झंडे के, बिना पाकिस्तान को बुरा भला कहे हम सस्ती बिजली और सस्ते आटे की मांग कर रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि 1600 रुपए में 20 किग्रा आटे का थैला मिलता है। यानी कि पाकिस्तान में आटा 80 रुपए किग्रा मिल रहा है। यह पूछे जाने पर कि भारत के कश्मीर में इस्लामिक देश निवेश कर रहे हैं, क्या POK में भी ऐसा कुछ हुआ है। इस पर उन्होंने कहा, ‘भारत कहता है कि कश्मीर हमारा अटूट अंग है। भारत ने वहां पहले अपने निवेश से यह साबित किया है, जिसके कारण पूरी दुनिया अब वहां आ गई है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान के नेताओं से हमें गिला है, जिन्होंने कश्मीर के नाम पर सियासत की और डोनेशन ली। लेकिन इन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया जिससे लगे कि कश्मीर उनका है। जो भी प्रोजेक्ट लगाए वो अपने लालच के लिए।’ रफीक नाम के एक शख्स ने कहा, ‘हम टूरिज्म को डेवलप करना चाहते हैं, लेकिन यहां कोई भी इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं है। हम टूरिस्ट को कहां ले जाएं जब अच्छी रोड ही नहीं है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मोदी पहली बार कश्मीर गए तो लोगों ने वेलकम किया। ऐसा क्यों? जब सुविधाएं देंगे तो लोग आकर्षित होंगे। जब इनवेस्टमेंट और नौकरी आएगी तो सियासी नारे खत्म हो जाएंगे।’

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