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सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को चुनावी बॉन्ड्स के मामले में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से दाखिल एक याचिका पर शीर्ष अदालत ने सख्त रुख अपनाया है। इस याचिका में एसबीआई ने राजनीतिक दलों की ओर से कैश कराए गए सभी चुनावी बॉन्ड्स की जानकारी सार्वजनिक करने के लिए समयावधि को 30 जून तक बढ़ाए जाने की मांग की गई थी। मगर सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए दो टूक कहा है कि कल तक सारा डाटा दें। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगाई थी।
देश की सर्वोच्च अदालत ने पूछा कि क्या स्टेट बैंक का समय बढ़ाने की मांग का आधार सही है। SBI ने इसके जवाब में कहा कि बॉन्ड्स को डीकोड करने में समय लग रहा है। पीठ ने बैंक के वकील हरीश साल्वे से भी तीखे सवाल दागे। अदालत ने पूछा कि पिछले 26 दिनों में क्या किया? 10 पॉइंट्स में समझिए कि यह पूरा मामला आखिर क्या है। State Bank of India की ओर से शीर्ष अदालत में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे पेश हुए। एसबीआई की याचिका में इलेक्ट्रॉल बॉन्ड्स का ब्यौरा देने के लिए और समय की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि इसे डीकोड करने में समय लग रहा है।
इस पर अदालत ने हरीश साल्वे से सवाल दागते हुए पूछा कि बीते 26 दिनों में आखिर क्या क्या किया गया? याचिका में इसका जिक्र नहीं है। आपको इसकी जानकारी देनी चाहिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद क्या-क्या किया गया। अदालत ने साफ कहा कि कल तक पूरा डाटा दें। 15 फरवरी को पांच सदस्यी पीठ ने केंद्र की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी। पीठ ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि वह इस योजना के जरिए दलों को मिले चंदे की जानकारी 13 मार्च तक सामने लाएं।
शीर्ष अदालत ने एसबीआई को निर्देश दिया था कि 12 अप्रैल 2019 के बाद से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड्स की सभी जानकारियां निर्वाचन आयोग के पास 6 मार्च तक पहुंचाए। एसबीआई को इस योजना को लिए फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन बनाया गया था।इसके साथ ही भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) को निर्देश दिया गया था कि चुनावी बॉन्ड्स को लेकर मिलने वाली सभी जानकारियां इसकी आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित की जाए। इसके लिए 13 मार्च तक की समय सीमा तय की गई थी।
एसबीआई ने 4 मार्च को एक याचिका दाखिल कर चुनावी बॉन्ड्स की जानकारी ईसीआई को देने के लिए अंतिम तारीख को 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी। उसने कहा था कि डाटा की क्रॉस रेफरेंसिंग करने के साथ प्रक्रिया में समय लग रहा है।एसबीआई के खिलाफ याचिका में कहा गया है कि बैंक की याचिका का समय जानबूझ कर ऐसा रखा गया है ताकि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जनता से चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा देने वालों और उसकी राशि की जानकारी छिपाई जा सके।
याचिका के अनुसार चुनावी बॉन्ड्स को पूरी तह ट्रेस किया जा सकता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि भारतीय स्टेट बैंक चुनावी बॉन्ड खरीदने और राजनीतिक दलों को उन्हें दान करने वाले लोगों का सीक्रेट नंबर आधारित रिकॉर्ड रखता है।
इस याचिका में जोर दिया गया है कि चुनावी प्रक्रिया के दौरान पारदर्शिता की अहमियत को देखते हुए, चुनावी बॉन्ड्स से जुड़ी जानकारियां जनता के सामने आनी जरूरी हैं ताकि मतदाताओं को इसके बारे में पता चले और उसके आधार पर वह फैसला लें। एसबीआई के खिलाफ याचिका में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल दलीलें रखेंगे। रविवार को उन्होंने आरोप लगाया था कि एसबीआई जिस आधार पर समय बढ़ाने की बात कह रही है वह बेतुका है।