हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार पर संकट खड़ा हो गया है। राज्यसभा चुनाव में 6 विधायकों की ओर से क्रॉस वोटिंग करने के बाद हिमाचल की सियासत में तूफान मचा है। अब कांग्रेस के छह बागी विधायकों पर अयोग्यता की तलवार भी लटक गई है। स्पीकर ने इस पर सुनवाई शुरू की है। इसी के साथ हिमाचल में सरकार बनाने का नया समीकरण भी सामने आया है।यदि दलबदल विरोधी कानून के तहत 6 विधायकों पर कार्रवाई होती है और इन विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी जाती है तो विधानसभा में विधायकों की संख्या 62 ही रह जाएगी। इसके बाद इसी संख्या के आधार पर बीजेपी-कांग्रेस को बहुमत सिद्ध करना होगा।
मौजूदा समीकरण की बात करें तो विधानसभा में 68 सीटें हैं। इन पर बहुमत साबित करने के लिए किसी भी दल को 35 सीटों की जरूरत होती है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 40 सीटों पर कब्जा किया था। इसके साथ ही उसे 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है। यदि 6 विधायकों के निलंबन के बाद 62 विधायक ही रह जाते हैं तो बहुमत का गणित 32 विधायक हो जाएगा।
दूसरी ओर, यदि 6 विधायकों की सदस्यता दल बदल कानून के तहत रद्द नहीं होती है और वे बीजेपी जॉइन कर लेते हैं तब बहुमत का आंकड़ा 68 सीटों से तय होगा। फिर बीजेपी को कुल 35 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों के साथ बीजेपी के पास संख्याबल 34 हो जाएगा। इसके बाद उसे बहुमत के लिए एक और विधायक के समर्थन की जरूरत होगी। आपको बता दें कि राज्यसभा चुनाव में भी बीजेपी-कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच मुकाबला टाई पर जाकर खत्म हुआ था। इसके बाद पर्ची से फैसला निकाला गया।
हालांकि सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दावा किया है कि उनके सभी विधायकों की नाराजगी दूर हो चुकी है। साथ ही सरकार सुरक्षित है और वे पद भी नहीं छोड़ेंगे, लेकिन जिस तरह से बुधवार सुबह सियासी घटनाक्रम चला, उसे लेकर कहा जा रहा है कि हिमाचल प्रदेश में जल्द ही बड़ा खेला हो सकता है।
पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे और मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया। वे भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। कहा जा रहा है कि उन्हें कई विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इधर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी बीजेपी पर विधायकों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी जनता के अनुसार चुनी गई सरकार को तोड़ने में लगी है।