
नई दिल्ली. देश की राजधानी दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन की आस टूटती नजर आ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि दोनों ही दल अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं. राजधानी में कुल सात लोकसभा की सीटे हैं. सूत्रों की मानें तो कांग्रेस पार्टी सात में से चार सीटों पर चुनाव लड़ने पर अड़ी हुई है. उन्होंने इंडिया गठबंधन के तहत इससे कम सीटों पर झुकने से इनकार कर दिया है. वहीं, सीएम अरविंद केजरीवाल की पार्टी इसके लिए कतई तैयार नहीं है. दोनों पक्षों के बीच खींचतान के बीच लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों के साथ आने की उम्मीद अब धुंधली पड़ती दिख रही है.
दिल्ली में कुल सात लोकसभा की सीटें हैं. इन सभी पर बीजेपी का कब्जा है. इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस और आप पहले ही राजधानी में साथ चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं. हालांकि आम आदमी पार्टी पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि वो पंजाब में अकेले चुनाव लड़ने जा रहे हैं. दिल्ली को लेकर दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन पर बात बनती नहीं दिख रही. सीएम केजरीवाल ने एक दिन पहले ही यह बयान दिया था कि उनकी कांग्रेस के साथ गठबंधन पर बातचीत अंतिम चरण में है. जल्द ही इसपर बात बन सकती है.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीट बंटवारे को लेकर उलझन सुलझ गई है. कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ने के एसपी के ऑफर को स्वीकार कर लिया है. अखिलेश यादव कांग्रेस को 17 से एक भी सीट अतिरिक्त देने को तैयार नहीं थे. वो लगातार सीटों पर एकतरफा ही अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर आक्रामक रुख अख्तियार किए हुए थे. अंत में कांग्रेस को झुकना पड़ा. दिल्ली में भी तभी बात बन सकती है जब कांग्रेस क्षेत्रीय दल की बात मानने को तैयार हो जाए. 7 में से 4 सीट पर चुनाव लड़ने की जिद गठबंधन के आड़े आती नजर आ रही है.