मोदी, मंदिर और राजनीति, चुनावी गठजोड़?

 अयोध्या में राम मंदिर और अब एक महीने के अंदर आबूधाबी में भव्य मंदिर। दोनों का ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधा रिश्ता बना। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में वे मुख्य यजमान थे तो UAE की राजधानी में बने भव्य ह‍िंदू मंदिर का उन्होंने उद्घाटन किया। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के पहले 11 दिन तक उन्होंने अनुष्ठान किया। इस दौरान वे दक्षिण भारत के अनेक प्रतिष्ठित मंदिरों तक गए और वहां पूजन-अर्चन किया।

इन यात्राओं, कार्यक्रमों को एक तार में पिरोने पर पता चलता है कि कहीं इनका कोई रिश्ता आम चुनाव से तो नहीं है? इस सच की जानकारी केवल पीएम को या उनके लिए काम कर रहे कोर ग्रुप को हो सकती है। सच जो भी हो, इसका लाभ चुनाव में लेने की कोशिश भारतीय जनता पार्टी करेगी। चूंकि दक्षिण भारत अभी भी बीजेपी के लिए पहेली बना हुआ है, ऐसे में इस तरह की नीति काम की हो सकती है।

जब पीएम आबूधाबी से यूनाइटेड अरब अमीरात के राष्ट्र प्रमुख के सामने वहां रह रहे भारतीयों को संबोधित करते हैं तो संदेश वहां पहुंचता है, जहां वे पहुंचाना चाहते हैं। देश के बाहर हर भारतीय भाई-भाई ही दिखता है। खाड़ी देशों में तो पाकिस्तानी, बांग्लादेशी भी भारतीय लगते, दिखते हैं। ऐसे में जब भारतीय प्रधानमंत्री की शान में वहां की सरकारें बिछती हैं तो वहां रह रहे भारतीयों का सीना गर्व से भर जाता है। इस तथ्य को हर वह आदमी महसूस कर सकता है, जो विदेशी धरती पर कुछ दिन गुजार कर आया हो।

यह संयोग है या योजना का हिस्सा, इसे स्पष्ट नहीं कहा जा सकता लेकिन अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के एक महीने के अंदर आबूधाबी में बने हिंदू मंदिर का शुभारंभ का योग बना। दोनों में कार्यक्रमों पर पूरी दुनिया की नजर थी। दोनों में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य भूमिका में थे। अयोध्या और आबूधाबी के मंदिरों का आपस में रिश्ता है।

जिस स्वामी नारायण संप्रदाय ने आबूधाबी का मंदिर बनाया है उसके संस्थापक अयोध्या से सटे स्वामी नारायण छपिया के रहने वाले थे। आम आदमी इस संप्रदाय की जड़ें गुजरात में जानता है, जबकि आज भी अयोध्या से सटे उस स्थान पर देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं, जहाँ से इस संप्रदाय की शुरुआत हुई है।

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन 22 जनवरी से पहले पीएम ने 11 दिन का अनुष्ठान भी रखा। इस दौरान वे पंचवटी से शुरू करके दक्षिण भारतीय अनेक मंदिरों तक पहुंचे और पूजा-अर्चना की। इस दौरान उन्होंने हर भाषा में लिखित रामायण को भी सुना-समझा। कोई क्या कहता है, क्या सुनता है, इससे इतर एक सच यह भी है कि इन आयोजनों से नरेंद्र मोदी सनातन की ध्वजा फहरा रहे हैं। भारत की सांस्कृतिक ताकत, विरासत को आगे लेकर जा रहे हैं।

जिस तरीके से अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण को भारतीय जनता पार्टी ने अपने खाते में रखा, ठीक उसी तरीके से पीएम ने आबूधाबी के अपने सम्बोधन में वहां के हिंदू मंदिर के लिए भी जमीन मांगने की चर्चा उन्होंने की। वे यहाँ तक कह गए कि जब उन्होंने इस मंदिर के लिए जमीन की बात वहाँ के राष्ट्राध्यक्ष से की तो उन्होंने कहा कि जहाँ चाहें, मंदिर बना लें। यूएई सरकार पूरी मदद करेगी।

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जहाँ मोदी ने देश के हिन्दू समुदाय को एकता का संदेश दिया, भाईचारे का संदेश दिया तो वहीं आबूधाबी से उन्होंने पूरी दुनिया को हिन्दू धर्म-ध्वजा के ऊँचा रहने का संकेत दिया। खाड़ी में बड़ी संख्या में भारतीय मुस्लिम काम करते हैं, उन्हें संदेश दिया। किसी से छिपा नहीं है कि खाड़ी देशों में फूड बिजनेस में केरल का बड़ा योगदान है। वहां के लोग हर देश में मजूद हैं और अपनी मेहनत के बूते अलग मुकाम पर हैं।

जिस तरीके से पीएम का स्वागत यूएई या खाड़ी देशों की सरकारें करती हैं, वह यह संदेश भी देता है कि भारत अपने संविधान की मूल भवन के हिसाब से सबके लिए काम करता है। सबका साथ-सबका विकास का नारा यूं ही नहीं है। वे यह भी कहते हैं कि राम मंदिर और आबूधाबी के मंदिर का आरंभ एक महीने के अंदर होना संयोग नहीं हो सकता। यह योजना बनाकर किया गया प्रयास है।

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