6 महीने आंदोलन के लिए तैयार हैं किसान

किसान दिल्ली की ओर मार्च  कर रहे हैं। बाकी राज्यों के साथ दिल्ली की सीमाओं को बंद जरूर कर दिया गया है लेकिन किसानों की तैयारी भी पूरी है। वह अपने साथ इतना राशन और डीजल लेकर चल रहे हैं कि महीनों तक उन्हें दिक्कत नहीं होगी। ये किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून समेत कई अन्य मांग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले 2020 में हुआ किसान आंदोलन 13 महीने चला था।

किसानों का कहना है कि आप हमारे सब्र का इम्तिहान लीजिए लेकिन हम तब तक नहीं हटने वाले जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं की जातीं। रिपोर्ट्स के अनुसार पंजाब से ट्रैक्टर पर दिल्ली की ओर आगे बढ़ने वाले एक किसान ने बताया कि हमारे पास सुई से लेकर हथौड़े तक, सब कुछ है। हमने छह महीने का राशन लेकर अपने गांव से चले थे। हमारे पास पर्याप्त डीजल है और पत्थर तोड़ने के लिए टूल्स भी हैं। किसानों का आरोप है कि पिछला आंदोलन खत्म कराने के लिए उन्हें डीजल नहीं दिया जा रहा था।

पिछले किसान आंदोलन में शामिल रहे किसानों का कहना है कि इस बार हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक केंद्र की सरकार हमारी मांगें मान नहीं लेती। पिछली बार हमसे वादा किया गया था लेकिन इसके बाद भी सरकार ने जो कहा था वो नहीं किया। इस बार हम दिल्ली की सीमा से तभी हटेंगे जब हमारी मांग पूरी की जाएगी। अगर आपने पिछली बार के आंदोलन को देखा होगा तो आपको अंदाजा हो गया होगा कि एक बार अनुभव मिलने के बाद किसान इस बार कितनी तैयारियों के साथ आए होंगे।

इस किसान आंदोलन को रोकने के लिए 2 केंद्रीय मंत्री सोमवार को चंडीगढ़ भी पहुंचे थे और किसान नेताओं से बात की थी। इस दौरान इलेक्ट्रिसिटी कानून 2020, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और किसान आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमों को वापस लेने पर सहमति बनी थी। लेकिन एमएसपी, किसानों की कर्ज माफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग पर कोई सहमति नहीं बन पाई थी।

एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मुंडा का कहना है कि सरकार किसानों के हित के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन कुछ मुद्दों पर उन्हें राज्यों से विचार-विमर्श करने की जरूरत है। उधर, आंदोलन को देखते हुए दिल्ली की मानो किलाबंदी कर दी गई है। गाजीपुर, टिकरी और सिंघु बॉर्डर की बैरिकेडिंग की गई है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को शहर में घुसने से रोकने के लिए सड़कों पर ब्लॉक और कीलें बिछाई गई हैं। साथ ही पूरे शहर में जनसभाओं पर एक महीने का प्रतिबंध भी लगाया गया है।

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