नई दिल्ली: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक- 2023 को लोकसभा ने पास कर दिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि तीन आपराधिक कानूनों की जगह पर लाए गए बिल गुलामी की मानसिकता को मिटाने और औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति दिलाने की नरेंद्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाते हैं। शाह का कहना था कि ये प्रस्तावित कानून व्यक्ति की स्वतंत्रता, मानव के अधिकार और सबके साथ समान व्यवहार रूपी तीन सिद्धांतों पर आधारित हैं। लोकसभा के बाद इस पर राज्यसभा में बहस होगी वहां से पास होने के बाद कानून अमल में आ जाएगा। मौजूदा IPC, CrPC और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह ये कानून लेंगे। मौजूदा IPC में 511 धाराएं हैं, जबकि नए कानून यानी भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, नए कानून पर जब राष्ट्रपति की मुहर लग जाएगी तब वह लागू हो जाएगा और नए मामलों के लिए वह अमल में आएगा। नए कानून में मॉब लिंचिंग के लिए फांसी तक की सजा का प्रावधान है।
IPC के बदले भारतीय न्याय संहित- 2023 लाया गया है। सबसे पहले एक नजर डालते हैं कि उसमें अपराध को किन धाराओं में रखा गया है। प्राइवेट डिफेंस का जिक्र धारा-34 से लेकर 44 तक में किया गया है। साजिश वाले अपराध को धारा-61 में रखा गया है।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध को धारा-63 से लेकर 99 तक रखा गया है। रेप को 63 में परिभाषित किया गया है। रेप में सजा के लिए धारा-64 में प्रावधान किया गया है। गैंगरेप को धारा-70 में परिभाषित किया गया है। अगर 12 साल तक की बच्ची से कोई रेप में दोषी पाया जाता है तो उसे फांसी तक की सजा हो सकती है या आजीवन जेल में रहने की सजा हो सकती है।शादी का वादा कर संबंध बनाने को रेप के दायरे से बाहर कर दिया गया है। उसे अलग से अपराध के तौर पर परिभाषित करते हुए धारा-69 में इसके लिए प्रावधान किया गया है। ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 10 साल कैद की सजा हो सकती है।
किसी के शरीर पर होने वाले अपराध को 100 से लेकर 144 तक परिभाषित किया गया है। मर्डर की परिभाषा 101 में और मर्डर में सजा धारा-103 के तहत रखा गया है। आत्महत्या के लिए उकसाने को 108 में और हत्या का प्रयास को धारा-109 में रखा गया है। धारा-111 के तहत संगठित अपराध को परिभाषित किया गया है जबकि धारा-113 में टेरर एक्ट को रखा गया है। ये दोनों ही अपराध पहले IPC में नहीं थे। इसके लिए अलग से स्पेशल एक्ट है।
मॉब लीचिंग ममले में भी सात साल कैद या फिर उम्रकैद या फिर फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। 17 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने भीड़ की हिंसा और मॉब लिंचिंग मामले में तुरंत एफआईआर की बात कही थी। साथ ही ट्रायल कोर्ट से कहा था कि फांसी तक की सजा होगी। अब सरकार ने कानून में इसका प्रावधान कर दिया है।
देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, उसकी नियत रखने और हथियार एकत्र करने के मामले में नए कानून में धारा-147 से लेकर 158 तक में प्रावधान है। पहले IPC में धारा-124 ए में राजद्रोह का जिक्र था, लेकिन नए कानून में राजद्रोह का अलग से जिक्र नहीं है। इसमें FIR से लेकर केस डायरी और चार्जशीट और इसके बाद फैसले तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटल करने का प्रावधान किया गया हैसंहिता में प्रावधान किया गया है कि किसी भी मामले में पुलिस की सर्च और जब्ती के वक्त विडियोग्राफी जरूरी हैबिल में ऐसे क्राइम स्पॉट पर FSL मोबाइल टीम की विजिट अनिवार्य कर दी गई है,
सात साल या इससे अधिक की सजा वाला क्राइम हुआ हैपुलिस को हिरासत में लिए गए शख्स के बारे में उसके परिवार को लिखित में बताना होगा। ऑफलाइन के अलावा परिवार को ऑनलाइन भी सूचना देनी होगीछोटे-मोटे क्राइम के लिए बिल में यह प्रावधान किया गया है कि आरोपी का दोष सिद्ध होने पर उसे कम्युनिटी सर्विस से कनेक्ट किया जाएनए बिल में पुलिस और कोर्ट दोनों के लिए जांच, चार्जशीट दायर करने और फैसला सुनाने का समय तय किया गया है। पुलिस को 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल करनी ही होगी। कुछ विशेष परिस्थितियों में कोर्ट से इजाजत लेकर इसे बढ़ाया जा सकता है।कोशिश की जाएगी कि तीन साल में फैसला आ जाए। फैसले को सात दिनों के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा
बिल में एक नया प्रावधान है, जिसमें अंडरवलर्ड डॉन दाउद इब्राहिम जैसे भगोड़ों पर भी कोर्ट में ट्रायल चल सकेगाकिसी महिला के साथ अगर कोई अपराध हुआ है और वह FIR दर्ज कराने गई है, तो ऐसी स्थिति में थाने में कोई महिला सिपाही भी है तो उसी महिला सिपाही के सामने पीड़िता का बयान दर्ज कराकर पुलिस को कानूनी कार्रवाई शुरू करनी होगीभारतीय साक्ष्य संहिता इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल सबूतों के दायरे को बढ़ाता है। यह एविडेंस भी कागजी रेकॉर्ड की तरह ही कानूनी रूप से मान्य होंगेIPC में सेम सेक्स को लेकर प्रावधान था वह भारतीय न्याय संहिता में नहीं है। अगर जबरन ऐसा कोई संबंध बनाता है तो फिर उस मामले में क्या होगा ये भी बहस का मुद्दा है।