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गुनहों का गॉधी

2001 में, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद ने ऐशबाग रोड लखनऊ पर यूपीआईएल योजना में लगभग 4500 वर्ग मीटर सिटी मोंटेसरी स्कूल को एक प्रमुख भूमि आवंटित की, जिसका भूखंड संख्या जीएच 1, 2 और 3 था। यह भूमि केवल बच्चों के लिए प्राथमिक विद्यालय चलाने की शर्त पर सीएमएस को आवंटित की गई थी। गौरतलब है कि इस भूमि को सामान्य प्रक्रिया से हट कर आवंटन किया गया था और स्कूल को कोई सब्सिडी नहीं दी गई थी। संपत्ति प्रबंध अधिकारी द्वारा जगदीश गांधी को भेजे गए पत्र में यह भी लिखा गया था कि इस भूमि का उपयोग किसी अन्य कार्य के लिए नहीं किया जाएगा। इतना ही नहीं परिषद की तरफ से यह भी बताया गया कि सीएमएस के भवन निर्माण दो वर्ष के अंदर पूर्ण करना होगा। सीएमएस को ये जमीन भूमि हस्तांतरित करना या किराए पर देने का अधिकार नहीं होगा।

सीएमएस के बंद होने पर सरकार ये जमीन वापस ले लेगी और इसका कोई मुआवजा भी नहीं देगी। जगदीश गांधी को यह भी बताया गया कि उक्त भूमि पर भवन निर्माण का नक्शा किसी भी भवन निर्माण से पहले सक्षम अधिकारी से पारित कराया जाना है। सीएमएस को स्कूल में प्रवेश के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों के बच्चों को प्राथमिकता देनी होगी और परिषद के लिए कम से कम 5 प्रतिशत सीट आरक्षित करनी होगी। पत्र में यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि अन्य सभी शिक्षा संस्थानों की तरह, इस स्कूल में भी समाज के कमजोर वर्ग और पिछड़े वर्ग के लिए सरकार द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार सीटें आरक्षित की जानी हैं।

पत्र के अनुसार जगदीश गांधी को यह भी बताया गया कि आवास आयुक्त को कभी भी लीज एग्रीमेंट समाप्त करने का अधिकार है। लेकिन डॉक्टर जगदीश गुलाटी रहे आदत से मजबूर। उन्होंने उस जमीन पर 2002 के अंदर ही जो मानचित्र उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद द्वारा पास किया गया था उसके विपरीत निर्माण कार्य करवा दिया और 12 अप्रैल 2002 को उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के अधिकारी ने सिटी मांटेसरी स्कूल के प्रबंधक को कारण बताओ नोटिस जारी किया। जिसमें लिखा गया कि जो भूमि सिटी मांटेसरी स्कूल को आवंटित की गई थी उसमें अनाधिकृत निर्माण कार्य करना प्रारंभ कर दिया है। और इसको तुरंत आवास एवं विकास परिषद अधिनियम 1965 के अंतर्गत हटाना अपेक्षित है और इसको अगर तुरंत में हटाया गया तो जो अवैध निर्माण सिटी मोंटेसरी स्कूल द्वारा किया गया है उसको क्यों ना गिरा दिया जाए। इसके बावजूद डॉक्टर जगदीश गांधी द्वारा इस संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं की गई। क्योंकि डॉक्टर जगदीश गांधी की मंशा कभी थी ही नहीं कि अवैध निर्माण को तोड़ा जाए।

इससे यह साबित होता है कि डॉक्टर जगदीश गांधी ने जानबूझकर अपने आवंटित भूमि पर अवैध निर्माण करवाया और वह चाहते थे कि यह आवंटित भूमि पर अवैध निर्माण रहे इस को ध्वस्त किया जाए और इस कारण से उन्होंने आवास विकास परिषद द्वारा भेजे गए चिट्ठी का कोई जवाब दिया ही नहीं। सिटी मांटेसरी स्कूल की तरफ से कोई कार्यवाही ना होने के बाद उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद अधिशासी अभियंता निर्माण खंड द्वारा 21 अगस्त 2003 को एक नोटिस भेजा गया जिसमें सिटी मोंटसरी स्कूल को तुरंत अवैध निर्माण ध्वस्त करने को कहा गया। इस पत्र के अनुसार स्वीकृत मानचित्र के विरुद्ध बिना अनुमति अवैध निर्माण किया सरल शमन योजना 2002 के अंतर्गत कार्यवाही आरंभ करने के लिए सिटी मोंटसरी स्कूल को कहा गया जो कि उन्होंने कभी किया ही नहीं।

इस नोटिस में यह भी कहा गया कि अग्निशमन विभाग से वांछित प्रमाण पत्र कभी जमा ही नहीं किया गया। इस संबंध में मुख्य अग्निशमन अधिकारी चिट्ठी लिखी जिसके द्वारा विद्यालय भवन में अग्नि सुरक्षा से संबंधित व्यवस्था नहीं की गई है। और इस वजह से सिटी मोंटेसरी स्कूल के इस ब्रांच में पढ़ने वाले बच्चों के लिए एक बहुत बड़ा खतरा बना हुआ है। अधिशासी अभियंता ने यह भी लिखा की कोई अवैध निर्माण नहीं होना चाहिए।

फायर टेंडर के आवागमन के लिए 6 मीटर चैड़ा मार्ग बिल्डिंग के चारों होना चाहिए परंतु सिटी मोंटेसरी स्कूल में सेट मैक्स के लिए निर्मित अवैध निर्माण को हटाने की कार्यवाही की सूचना कभी दी नहीं गई और इस वजह से उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद कभी भी इस को ध्वस्त करने का आदेश दे सकती हैं। उसमें सिटी मांटेसरी स्कूल स्कूल को साफ साफ शब्दों में बता दिया गया कि क्योंकि अभी तक स्कूल की तरफ से ना कोई कार्यवाही की गई और ना ही सरकारी पत्रों का जवाब दिया गया। इसलिए अगर मानचित्र के अलावा कोई भी निर्माण किया गया है तो उसे खुद ही 30 दिनों के अंदर अवैध निर्माण को तोड़ दे नहीं तो परिषद इसे तोड़ देगा और दंडात्मक कार्यवाही भी की जाएगी। सिटी मांटेसरी स्कूल भवन जो कि ऐशबाग रोड पर स्थित है यह भी बेहद खतरनाक अवस्था में है।

ऐसा लगता है कि अवैध निर्माण और कब्जा करना डॉक्टर जगदीश गांधी के व्यक्तित्व का एक हिस्सा है क्योंकि 2 साल बीत जाने के बाद भी 2005 तक चिट्ठियों का जवाब दिया गया ना ही अवैध निर्माण को तोड़ा गया जब सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। नाही उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद ने 4 साल बीत जाने के बाद भी कोई दंडात्मक कार्यवाही की गई ना ही अवैध निर्माण को तोड़ा गया। डॉक्टर जगदीश गांधी को बार-बार चिट्ठियों के माध्यम से नोटिसो के माध्यम से यह बताया गया कि आप अवैध निर्माण कर रहे हैं लेकिन इसको तोड़ने का आदेश या फिर नियमों के उल्लंघन के लिए परिषद ने कोई भी एक्शन नहीं लिया।

8 अगस्त 2005 को उत्तर प्रदेश एवं विकास परिषद ने एक नोटिस फिर से जारी की जिसमें साफ साफ शब्दों में सिटी मोंटेसरी स्कूल को बता दिया गया की ऐशबाग रोड लखनऊ के ब्रांच में अवैध निर्माण की शिकायत कई बार डॉक्टर जगदीश गांधी और सिटी मोंटेसरी स्कूल को की गई लेकिन कभी कोई कार्यवाही उस पर नहीं हुई। साथ में यह भी बताया गया अनुमोदित मानचित्र के विपरीत निर्माण कार्य को गिरा देने तथा यह बताने का भी अवसर कई बार दिया गया की निर्माण को गिरा देने का आदेश क्यों न दिया जाए लेकिन कभी भी इसका कोई जवाब ना डॉक्टर जगदीश गांधी और ना ही सिटी मोंटेसरी स्कूल द्वारा दिया गया। नोटिस में अनाधिकृत निर्माण को गिराने के लिए 15 दिन का वक्त सिटी मांटेसरी स्कूल को दिया गया। लेकिन इस पर कार्यवाही कभी हुई ही नहीं।

चिट्ठियों का खेल चलता रहा नोटिस पर नोटिस भेजे गए लेकिन डॉक्टर जगदीश गांधी के रसूख की वजह से कोई कार्यवाही नहीं की गई। जब जगदीश गांधी के सिटी मोंटेसरी स्कूल ने अग्निशमन विभाग से एनओसी मांगी अग्निशमन विभाग ने देने से मना कर दिया बल्कि मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद को एक चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने सीधे-सीधे लिख दिया की अत्यंत खेद का विषय है कि स्कूल द्वारा यह जाहिर किया गया है की अग्नि सुरक्षा व्यवस्था के सभी प्रबंध पूर्ण कर लिए गए हैं एवं उक्त स्कूल के लिए अंतिम अनापत्ति प्रमाण पत्र अग्निशमन विभाग द्वारा दे दी जाए लेकिन जब अग्निशमन की सिटी मोंटेसरी स्कूल गई तो उसकी बिल्डिंग में एक भी व्यवस्था नहीं मिली। न फायर पंप लगाए गए थे नाही वेट ग्राइंडर बेसमेंट में स्प्रिंकलर सिस्टम, मैनुअली ऑपरेटेड इलेक्ट्रिक फायर अलार्म की व्यवस्था थी। स्कूल के चारों ओर आवश्यक रूप से उपलब्ध रखने वाले 6 मीटर रोड पर भी अनाधिकृत एवं अवैध रूप से स्टेयरकेस का निर्माण कर लिया गया था जिसकी वजह से सिर्फ डेढ़ मीटर की जगह बची हुई थी।

सुरक्षा के सभी मानकों को ताक पर रखते हुए इस बहू मंजिल श्रेणी में आने वाली बिल्डिंग के बेसमेंट में भी निर्धारित अग्नि सुरक्षा व्यवस्थाओं के अभाव में नर्सरी के बच्चों की क्लासेस लगाई जा रही थी। यह भी माना गया सिटी मांटेसरी स्कूल के प्रबंध तंत्र द्वारा सुरक्षा व्यवस्था का खुला उल्लंघन किया जा रहा है और इस कारण से वहां पढ़ने वाले विद्यार्थियों को जान का खतरा बना हुआ है। परिषद से विनती की गई सिटी मांटेसरी स्कूल के प्रबंध तंत्र के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की जाए।
प्रखर पोस्ट के पिछले दो संस्करणों में हमने उजागर किया था कि कैसे नियमों को तोड़ा गया और जगदीश गांधी ने निजी लाभ के लिए सरकारी और निजी जमीनें छीन लीं। हमारी जांच से यह भी पता चला है कि सीएमएस द्वारा संचालित प्रत्येक शाखा में कुछ न कुछ भ्रष्टाचार किया गया था।

यह रिकॉर्ड में है कि हालांकि कई विभागों को स्कूल में संरचनात्मक दृष्टि से वित्तीय घोटालों तक की अवैधताओं के बारे में पता था, लेकिन सीएमएस या उसके मालिक जगदीश गांधी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह केवल गांधी के राजनीतिक रसूख के कारण ही था कि किसी ने भी उन्हें छूने की हिम्मत नहीं की। उनके न केवल उत्तर प्रदेश में संबंध हैं बल्कि नई दिल्ली के राजनीतिक हलकों में भी उनकी पहुंच है। वह अक्सर राजनेताओं आदि को स्कूलों में अतिथि के रूप में आमंत्रित करते हैं। बॉलीवुड भी अछूता नहीं है. पिछले कुछ वर्षों में जगदीश गांधी ने शीर्ष बॉलीवुड हस्तियों के साथ-साथ मेहमानों को भी आमंत्रित किया। क्रिकेटर भी उनकी लिस्ट का हिस्सा हैं। गांधी लखनऊ में न्यायाधीशों का एक सम्मेलन भी आयोजित करते हैं। इस सम्मेलन में दुनिया भर के सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भाग लेते हैं।

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