नई दिल्ली। हैकर्स अपने नए-नए तरीकों से ठगी और साइबर अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। रैनसमवेयर हमले, जो पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़े हैं, आजकल एक गंभीर साइबर सुरक्षा खतरे के रूप में सामने आ रहे हैं। रैनसमवेयर हमलावर एक प्रकार के मैलवेयर (वायरस) का इस्तेमाल करते हैं जो किसी सिस्टम या डेटा को लॉक कर देता है और फिर उसे बहाल करने के लिए भुगतान की मांग करता है। यह एक तरह की डिजिटल फिरौती है, जिसे हैकर्स विभिन्न देशों और संगठनों पर हमला करने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, रैनसमवेयर ग्रुप ने 153 देशों में 5,233 हमलों को अंजाम दिया। इस संख्या से यह साफ है कि ये हमले केवल कुछ बड़े देशों तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर फैले हुए हैं। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि साइबर अपराधी अब छोटे से लेकर बड़े स्तर तक, विभिन्न प्रकार के संगठनों और व्यक्तियों को निशाना बना रहे हैं।
ऐसे में भारत में रैनसमवेयर अटैक में एक साल में 55 फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले साल ही भारत में 98 रैनसमवेयर अटैक हुए हैं और सबसे ज्यादा अटैक मई और अक्टूबर महीने में हुए है। जानकारी मुताबिक, हाल ही में रिलीज हुए, ‘Ransomware Trends 2024: Insights for Global Cybersecurity Readiness’ से मिली है। इस रिपोर्ट को CyberPeace ने जारी की है जो कि एक साइबर सिक्योरिटी एजेंसी है।
साइबरपीस ने एडवांस ओएसिंट (ओपन सोर्स इंटेलिजेंस) तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए 166 थ्रेट एक्टर समूहों की निरंतर निगरानी की और 658 सर्वरों/अंडरग्राउंड संसाधनों से डेटा एकत्र किया। रिपोर्ट के अनुसार इन अंडरग्राउंड संसाधनों का इस्तेमाल करने से रैनसमवेयर ग्रुप ने 153 देशों में 5,233 हमलों को अंजाम दिया। इस लिस्ट में अमेरिका सबसे अधिक पसंद का देश रहा है, इसके बाद कनाडा, यूके, जर्मनी और अन्य देश रहे।
हालिए रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘किलसेक’ सबसे प्रमुख खतरा था, जबकि ‘लॉकबिट3’ दूसरा सबसे खतरा बनकर उभरा। अन्य समूहों जैसे रैनसमहब, डार्कवॉल्ट और क्लॉप ने मध्यम स्तर की गतिविधियां दर्ज की गई है। भारत में जितने भी औद्योगिक क्षेत्र सबसे अधिक टारगेट किया जा रहा है, जो कुल घटनाओं का 75% था।
हेल्थकेयर सेक्टर (12%) और वित्तीय क्षेत्र (10%) सबसे अधिक प्रभावित हुए। वहीं, सरकारी क्षेत्र पर सबसे कम प्रभाव पड़ा, यहां पर सिर्फ 3% घटनाएं हई है। इससे पता चलता है कि साइबर सुरक्षा उपाय औद्योगिक क्षेत्र में जरुरी है। इसके साथ ही हेल्थकेयर, वित्तीय और सरकारी डोमेन में कमजोरियों को भी दूर करना जरूरी है।