
नोएडा। 17 अप्रैल 1976 को बसा नोएडा अब 50वें साल में प्रवेश करने वाला है। नोएडा शहर की जब स्थापना हुई थी, तब गुंडे-बदमाशों के नाम से इसे जाना जाता था। सुई से लेकर मोबाइल सिम, एरोप्लेन तक के पार्ट यहां बनाए जाते हैं। कंप्यूटर/सॉफ्टवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम बनाने वाली नामी कंपनियों की यहां काफी इंडस्ट्रीज हैं। इससे नोएडा की देश ही नहीं, विदेशों में भी काफी पहचान है।
दिल्ली के ओखला इंडस्ट्रियल एरिया की तर्ज पर यमुना नदी के पूर्वी किनारे पर नोएडा को यूपी इंडस्ट्रियल एक्ट 1976 के तहत न्यू ओखला इंडस्ट्रियल एरिया के तहत नोएडा घोषित किया गया। इसी शहर को बसाने के लिए जो अथॉरिटी गठित की गई. उसके नाम पर ही शहर का नाम नोएडा पड़ गया। तब से कई बार नाम बदलने की मांग हुई मगर अब यह इतना पॉपुलर हो गया है कि नोएडा से ही लोगों को प्यार हो गया।
कच्ची सड़कों से मेट्रो युग तक पहुंचे दिल्ली से सटे नोएडा में अब बहुत कुछ बदल चुका है। देश-दुनिया की नामचीन कंपनियों के ऑफिस, फैक्ट्रियां और इंटरनैशनल एयरपोर्ट मिसाल बन गए हैं। निवेश के लिए भी विदेशी कंपनियों की कतार लगी हुई है। इंटरनैशनल एयरपोर्ट बनने से यहां विदेशी कंपनियां भी तेजी से निवेश कर रही हैं, जिससे शहर तेजी से उभर रहा है।
आने वाले समय में नोएडा की सूरत और बदलेगी। यहां मेट्रो का कॉरिडोर बन जाएगा। एक्सप्रेसवे के किनारे से होकर मेट्रो ग्रेटर नोएडा व जेवर तक सीधे पहुंचेगी। नोएडा से तुगलकाबाद होते हुए दिल्ली के एयरपोर्ट के लिए भी सीधी कनेक्टिविटी होगी। अशोक नगर से मेट्रो से नमो भारत और दिल्ली से कनेक्टिविटी मिलने वाली है। गाजियाबाद से भी सेक्टर-62 के पास मेट्रो कनेक्ट होगी, जो ग्रेटर नोएडा वेस्ट से होते हुए आगे नोएडा एयरपोर्ट तक जाएगी।
नोएडा मेट्रो लाइन का विस्तार होगा। इसके लिए प्रदेश सरकार की तरफ से मंजूरी मिल गई है। अब फाइल केंद्र सरकार के पास है। इस पर इसी साल से काम शुरू हो सकता है। यहां 2025 में 6 नए इंडस्ट्रियल सेक्टर विकसित किए जाएंगे। ये सेक्टर नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे हैं। इनसे आईटी हब, सरकारी ऑफिस, अस्पताल और अन्य संस्थान शामिल होंगे। 2025 में यहां 250 से अधिक नई औद्योगिक कंपनियां शुरू हो जाएंगी। इन कंपनियों के माध्यम से एक लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार मिलना तय है।
नोएडा अथॉरिटी 8000 करोड़ रुपये के सालाना बजट में 1300 करोड़ रुपये इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करेगी। इस धनराशि से सड़कों से लेकर हाइवे पर काम होगा।भंगेल एलिवेटेड रोड दशकों से लटका था, इसका निर्माण 95 फीसदी से ज्यादा हो चुका है। इसकी सौगात भी इस साल मिलना तय है।
नए शहर को बसाने की जिम्मेदारी न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (New Okhla Industrial Development Authority) को दी गई और यही नोएडा नए शहर का नाम बन गया। 1980 के दशक की शुरुआत भी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तेज विकास की गति को देखते हुए और भीड़ के दबाव को कम करने के लिए गुडवांव और नोएडा एक्सटेंशन को भी एनसीआर में शामिल किया गया।
जेवर में बन रहे नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। यह कार्गो हब भी बनेगा। एयरपोर्ट के पूर्वी हिस्से में कार्गो टर्मिनल का निर्माण हो रहा है। इसके लिए कंपनी ने अनुबंध भी किया है। 2025 में इस एयरपोर्ट से यात्री व मालवाहक विमानों की उड़ान शुरू हो जाएगी।
डाटा सेंटर, लॉजिस्टिक पार्क, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए ‘एआई सिटी व साइबर सिक्यॉरिटी में टेक्नॉलजी रिसर्च ट्रांसलेशन पार्क की स्थापना होने वाली है। इसी साल काम शुरू होने जा रहा है। डाटा सेंटर क्षेत्र में निवेश के लिए नोएडा पहली पसंद बन चुका है। टप्पल और ग्रेनो में प्रस्तावित मल्टिमॉडल लॉजिस्टिक पार्क के आधारभूत ढांचे के काम को गति मिलेगी। इन पार्कों की स्थापना से निवेश के साथ लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। ग्रेटर नोएडा में सोलर कंपनी का भूमि पूजन कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने किया था। सेक्टर-145 एमएक्यू सॉफ्टवेयर कंपनी का शुभारंभ भी योगी ने किया। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी भी यहां निवेश करने जा रही है।