
शनि त्रयोदशी का व्रत सनातन धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे शनि प्रदोश भी कहा जाता है। यह व्रत खासकर शनिवार के दिन पड़ता है, जब त्रयोदशी तिथि होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव, माता पार्वती, और शनि देव की पूजा की जाती है। शनि त्रयोदशी व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति, दुखों का निवारण और सभी इच्छाएं पूरी होने की संभावना मानी जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 27 दिसंबर, दिन शुक्रवार को रात 2 बजकर 28 मिनट पर शुरु होगी। इस तिथि का समापन 28 दिसंबर को रात 3 बजकर 32 मिनट पर होगा। इस साल शनि त्रयोदशी का व्रत 28 दिसंबर को रखा जाएगा।
पूजा विधि:
स्नान करने के बाद शुद्ध व सात्विक मन से पूजा की शुरुआत करें। पूजा स्थल को स्वच्छ रखें और वहां दीपक, अगरबत्तियां, पानी, फूल, और फल रखें। शिवलिंग की पूजा करें और शनि देव की तस्वीर या मूर्ति के सामने तिल, तेल, और घी का दीपक जलाएं। ॐ शं शनैश्चराय नमः का जाप 108 बार करें और शनि देव को तेल अर्पित करें। भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक करें। विशेष रूप से धतूरा, बिल्व पत्र, और पानी का अर्पण करें। पूजा के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दीन-हीन व्यक्तियों को दान दें।
यह व्रत शनि के दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए किया जाता है, साथ ही इसे समाज में शांति, सकारात्मक ऊर्जा और दुश्मनों से विजय के रूप में भी माना जाता है।