की आएगी शामत; IIT Kanpur में पहली बार हुआ रिसर्च
आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने क्रिकेट में फेंकी जा रही नकल बाल की एयरोडायनेमिक्स पर किए लंबे शोध के बाद गेंद फेंकने का वह तरीका ढूंढ़ निकाला है जिससे बेसबाल की तरह क्रिकेट में भी गेंद जिगजैग घूमेगी। इससे बल्लेबाजों के लिए इस गेंद को खेलना और भी मुश्किल हो जाएगा। क्रिकेट की नकल बाल अभी बेसबाल की गेंद की तरह हवा में नहीं घूमती है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता: आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने क्रिकेट में फेंकी जा रही नकल बाल की एयरोडायनेमिक्स पर किए लंबे शोध के बाद गेंद फेंकने का वह तरीका ढूंढ़ निकाला है, जिससे बेसबाल की तरह क्रिकेट में भी गेंद जिगजैग घूमेगी। इससे बल्लेबाजों के लिए इस गेंद को खेलना और भी मुश्किल हो जाएगा।
क्रिकेट की नकल बॉल अभी बेसबॉल की गेंद की तरह हवा में नहीं घूमती है। बेसबाल के पिचर की तरह गेंदबाजों ने नकल बॉल की खोज तो कर ली है, लेकिन यह जिगजैग लहराने के बजाय सीधे ही बल्लेबाजों की तरफ जाती है। नकल बॉल पर दुनिया में पहली बार आईआईटी कानपुर में वैज्ञानिक शोध हुआ है।
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दुनिया में पहली बार आईआईटीम कानपुर ने नकल बॉल पर किया रिसर्च
आईआईटी में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रो. संजय मित्तल व उनके विद्यार्थी कुंजल शाह ने बेसबाल और क्रिकेट की नकल बॉल की एयरोडायनेमिक्स और गेंद की सीम, गति समेत सभी बिंदुओं का अध्ययन किया है। प्रो. मित्तल ने कहा कि नकल बॉल फेंकने में माहिर गेंदबाज जो गेंद फेंकते हैं, उसमें सीम का कोण और सीम के घूमने की गति अधिक है।
आईआईटी कानपुर स्थित नेशनल विंड टनल में किए प्रयोग से पता चला कि अगर 115 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गेंद डाली जाए और सीम झुकाव 30 डिग्री का रहे, इसके साथ ही गेंदबाज के हाथ से छूटी गेंद, बल्लेबाज तक पहुंचने के दौरान सीम से पूरा चक्र घूमने के बजाय आधा ही चक्कर लगाए तो गेंद पर ऊपर-नीचे और दाएं-बाएं से पड़ने वाला हवा का दबाव गेंद के रूट को जिगजैग बना देगा। इस अध्ययन का फायदा गेंदबाजों को मिलेगा।
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बेसबॉल में फेंकी जाती है नकल बॉल
बेसबाल में फेंकी जाती है नकल बॉल, ये जिगजैग बढ़ती है आगे, क्रिकेट की नकल बाल में सभी खूबियां, पर जिगजैग रूट नहीं ये होती है नकल बॉल। नकल बॉल के लिए तर्जनी और मध्यमा अंगुली का प्रयोग किया जाता है। गेंद छोड़ते समय गेंदबाज अंगुलियों के छोर या नाखून से गेंद को वैसे ही धक्का देता है जैसे दरवाजा खटखटाया (नाक) जाता है। इसलिए इसे नकल बाल कहा गया। इस गेंद को फेंकने के दौरान एक्शन और हाथ की गति में कोई बदलाव नहीं होता और लेकिन जब गेंद हाथ से छूटती है तो उसमें गति नहीं आती।