बिना लाइसेंस के हो रहा मांस का व्यवसाय

झाबुआ। नगर पालिका ने मांस दुकानों के खिलाफ कार्रवाई की। इस दौरान कई व्यापारियों के पास दुकान का लाइसेंस नहीं मिला। दो दिन की मुनादी के बाद आखिर जिला प्रशासन का डंडा मांस-मछली की अवैध दुकान लगाने वालों पर चल गया। जिला प्रशासन व नगरपालिका की टीम ने सड़कों पर लगने वाली दुकानों को हटाया। खुले में मछल और मांस बेचने वाले व्यापारियों को भी हिदायत दी गई।

कार्रवाई के दौरान कई व्यापारियों के पास लाइसेंस ही नहीं मिले। कई व्यापारियों के पास लाइसेंस थे तो उन्होंने नवीनीकरण ही नहीं करवाया था। सड़कों पर दुकानें लगाने वाले व्यवसायियों ने उनकी दुकानें लगाने के लिए जिला प्रशासन से जमीन मांगी। इस पर एसडीएम हरिशंकर विश्वकर्मा ने धरमपुरी क्षेत्र में व्यापारियों को दुकानें लगाने के लिए जगह दिखाई।

पिछले दिनों अवैध मछली और मांस की दुकानें हटाने व ध्वनि विस्तारक यंत्रों को हटाने के निर्देश दिए थे। निर्देश के बाद नगर पालिका ने शहर में दो दिनों तक मुनादी कराई थी। शनिवार को कार्रवाई की जानी थी। शनिवार सुबह करीब 11 बजे नायब तहसीलदार विपुल उपाध्याय नगरपालिका की टीम लेकर मौके पर पहुंचे। सबसे पहले उन्होंने खुले व सड़कों पर लगने वाली मछली और मांस की दुकानें हटाई।

नायब तहसीलदार स्थायी दुकान लगाने वाले व्यवसायियों के पास भी पहुंचे और उनके लाइसेंस चेक किए गए। कई व्यापारियों के पास तो लाइसेंस नहीं थे। कई ने लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं करवाया था। सभी व्यापारियों को उपाध्याय द्वारा खुले में मांस और मछली नहीं बेचने की हिदायत दी गई। शहर के अलग-अलग चार-पांच स्थानों पर कर्मचारी पहुंचे और दुकानें हटवाईं। इस दौरान कई व्यापारियों ने कार्रवाई को लेकर आपत्ति भी दर्ज करवाई। उनका कहना था कि उन्हें स्थायी जगह दी जाए।

शहरभर में चार से पांच स्थानों पर व्यवसायियों द्वारा दुकानें संचालित की जाती हैं। सबसे अधिक दुकानें नगर पालिका के समीप ही लगाई जा रही है। इसके अलावा कुम्हारवाड़ा व जगमोहनदास मार्ग शामिल है। कुछ व्यवसायी सज्जन रोड, कब्रस्तान के समीप भी अपनी दुकानें लगाते हैं। सभी जगह टीम मौके पर पहुंची और व्यापारियों को हिदायत दी गई।

पूर्व पार्षद रशीद कुरैशी ने बताया कि लंबे समय से मांस व्यवसायियों को स्लाइटर हाउस बनाकर देने का आश्वासन मिल रहा है, लेकिन अब तक बनाने के लिए नगर पालिका ने जमीन तक नहीं देखी है। पहले दो स्थानों पर जमीन देखी गई थी, लेकिन इन स्थानों को लेकर आपत्ति आने के कारण मामला अधर में चला गया। मजबूरन व्यवसायियों को नगरपालिका के समीप दुकान लगाकर अपना व्यवसाय करना पड़ता है।

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