लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली नेता रहे हैं, और उनका योगदान देश के राजनीतिक और सामाजिक परिवेश में बहुत महत्वपूर्ण रहा है। आडवाणी का जीवन संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने हमेशा भारतीय राजनीति में अपनी स्पष्ट सोच और सामरिक नेतृत्व क्षमता से खुद को साबित किया। उनका प्रभाव भारतीय राजनीति में लंबे समय तक देखा गया, और वे भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में से एक रहे।
आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान के कराची में हुआ था, और विभाजन के बाद उनका परिवार भारत आकर बस गया। इसके बाद आडवाणी ने भारतीय राजनीति में अपनी पहचान बनाई, खासकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ उनके जुड़ाव के कारण। आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से उनका गहरा संबंध रहा है, जिसने उनके विचारों और दृष्टिकोण को आकार दिया।
आडवाणी के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी, जब उन्होंने भारतीय जनसंघ (जो बाद में भाजपा बनी) में कार्य करना शुरू किया। उनका सबसे बड़ा योगदान अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के दौरान देखा गया, जब वे 1990 में बाबरी मस्जिद के खिलाफ रथ यात्रा लेकर निकले थे, जिससे भाजपा को व्यापक समर्थन मिला और पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख राजनीतिक ताकत बन गई।
आडवाणी ने भारतीय जनसंघ से अपने राजनैतिक सफर की शुरूआत की थी। साल 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसको स्थापित किया था। आडवाणी ने जनसंघ के अंदर विभिन्न पदों पर काम किया और जनसंघ की नीतियों व विचारधारा को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया। भाजपा की स्थापना के समय आडवाणी पार्टी के प्रमुख नेताओं में से एक थे। बता दें कि आडवाणी की छवि दृढ़ विचारधारा वाले नेता की रही। उन्होंने पार्टी के सिद्धांतों और विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया।
लाल कृष्ण आडवाणी ने राजनीति में नैतिकता और सेवा के महत्व को बनाए रखा वह राजनीति को सिर्फ सत्ता पाने का साधन नहीं मानते थे, बल्कि वह राजनीति को राष्ट्र की सेवा का जरिया मानते थे। आडवाणी की सोच ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा देने का काम किया और भारतीय जनता पार्टी को एक सशक्त पार्टी के तौर पर स्थापित करने में बेहद अहम भूमिका निभाई।