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अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी का तंज- जिनके खुद के खाते बिगड़े हुए हैं, वे भी हमारा हिसाब मांग रहे हैं

नई दिल्ली । अपनी सरकार के खिलाफ तीन दिनों से जारी अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दिनों से अनेक वरिष्ठ सांसदों ने विचार व्यक्त किए हैं और सभी के विचार विस्तार से मुझ तक पहुंचे हैं। कुछ लोगों के विचार मैंने खुद भी सुने हैं। देश की जनता ने जो हमपर बार-बार विश्वास जताया है, उसका कोटि-कोटि का आभार जताते हैं। भगवान बहुत दयालु हैं और मैं इसे ईश्वर का आशीर्वाद मानता हूं कि उन्होंने विपक्ष को सुझाया और वो अविश्वासात प्रस्ताव लेकर आए। 2018 में भी वे अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे, उस समय भी मैंने कहा था कि ये सरकार का फ्लोर टेस्ट नहीं है, उनका ही फ्लोर टेस्ट है। विपक्ष के पास जितने वोट थे, अविश्वासा प्रस्ताव पर मतदान के दौरान उससे भी कम वोट मिले। इसके बाद जब चुनाव हुए तो बीजेपी की सीटें बढ़ीं और एनडीए की भी। अविश्वास प्रस्ताव हमारे लिए शुभ होता है। इन लोगों ने तय कर दिया है कि 2024 में भी हमारी रिकॉर्ड जीत होगी।


पीएम मोदी ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा, “अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष ने सही से चर्चा नहीं की। फील्डिंग विपक्ष ने लगाई, चौके-छक्के यहीं से (हमारी तरफ से) लगे। विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर नो बॉल पर नो बॉल कर रहा है और सरकार की तरफ से सेंचुरी लगाई जा रही हैं। मैं विपक्ष से कहना चाहूंगा कि थोड़ी मेहनत करके आते। आपसे 2018 में कहा था कि मेहनत करके आना, लेकिन पांच साल में भी कुछ नहीं बदला।” आम आदमी पार्टी का नाम लिए बिना पीएम ने कहा कि आप जुटे तो अविश्वास प्रस्ताव पर जुटे और अपने कट्टर भ्रष्ट साथी उनकी शर्त पर मजबूर होकर जुटे। इस अविश्वास प्रस्ताव पर भी आपने कैसी चर्चा की। आपके दरबारी भी बहुत दुखी हैं। ये हाल है आपका।


अधीर रंजन ने नीरव मोदी से की पीएम की तुलना

सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहस का जवाब देने के लिए करीब तीन बजे लोकसभा पहुंचे, उस समय कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी सदन में बोल रहे थे। उसी समय अधीर रंजन ने कह दिया कि हमें तो लगा कि नीरव मोदी भाग गया है लेकिन मणिपुर हिंसा के बाद लगा कि वो कहीं नहीं गया है, नरेंद्र मोदी के रूप में यहीं मौजूद है। इस टिप्पणी पर पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने आपत्ति जताई और अधीर रंजन चौधरी से माफी मांगने के साथ इस टिप्पणी को कार्यवाही से हटाने की मांग की। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ले कहा कि प्रधानमंत्री पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी को रिकॉर्ड से निकाल दिया गया है। अधीर रंजन चौधरी ने यह भी कहा कि जब धृतराष्ट्र अंधे थे, तब द्रौपदी का वस्त्र हरण हुआ था, आज भी राजा अंधे बैठे हैं और मणिपुर व हस्तिनापुर में कोई फर्क नहीं है।


यूपीए में घोटालों का राज था: वित्त मंत्री

इससे पहले अवश्विास प्रस्ताव पर तीसरे दिन की चर्चा की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल की तुलना में देश ने मोदी के नेतृत्व में हर क्षेत्र में उल्लेखनीय तरक्की की है। कोविड संकट के बाद जहां वैश्विक आर्थिक परिदृश्य धुंधला होता जा रहा है, वहीं भारत की आर्थिक वृद्धि चौंकाने वाली है। यह सब मोदी सरकार की कुशल नीतियों के कारण संभव हो रहा है। उन्होंने कहा कि यूपीए के कार्यकाल में 2जी, कोयला आदि घोटालों की भरमार थी, वर्ष 2014 के बाद मोदी सरकार के नेतृत्व में ‘सबका साथ और सबका विकास’ की नीति के कारण देश का सर्वांगीण विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय संघ और चीन में आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो रही है, जबकि भारत की अर्थव्यवस्था तरक्की की राह पर है। कई ग्लोबल एजेंसियों और भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार देश की अर्थव्यवस्था निरंतर मजबूत हो जा रही है।


जुल्म पर दोनों का मुंह नहीं खुलता: ओवैसी

सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा भाग लेते हुए एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि एक तरफ चौकीदार है और दूसरी तरफ दुकानदार है, लेकिन जब अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है तो किसी का मुंह नहीं खुलता। उन्होंने ट्रेन में एक पुलिसकर्मी द्वारा चार लोगों की हत्या की घटना और हरियाणा की हिंसा का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार को बहुसंख्यक समुदाय से जुड़े कट्टरपंथ पर ध्यान देना चाहिए। ओवैसी ने कहा, “इस सरकार का जमीर कहां गया था, जब नूंह में सैकड़ों इमारत को ढहा दिया गया और कोई कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। हिंदुस्तान में नफरत का माहौल पैदा किया गया है।” उन्होंने पूछा,”क्या बिलकिस बानो इस देश की बेटी नहीं है…कातिलों को रिहा कर दिया गया। क्या यह आपका जमीर है?” ओवैसी ने ज्ञानवापी मामले का परोक्ष उल्लेख करते हुए कहा कि तारीख के जख्मों को नहीं कुरेदा जाना चाहिए और सरकार को उच्चतम न्यायालय में स्पष्ट करना चाहिए कि वह 1991 के उपासना स्थल अधिनियम पर कायम है।

एआईएमआईए के नेता ने समान नागरिक संहिता से जुड़ी बहस को लेकर कहा, “भारत एक गुलदस्ता है। देश में एक मजहब, एक संस्कृति, एक भाषा की बात की जा रही है। ऐसा तो तानाशाही में होता है। भाजपा पसमांदा मुसलमानों की बात करती है, लेकिन इस सरकार में एक भी मुसलमान मंत्री नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि इस सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण का बजट 40 प्रतिशत कम कर दिया गया। ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव से पहले ट्विटर पर अपने नाम के आगे चौकीदार लगाया था। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोलने का नारा दिया था। उन्होंने कहा, “दुकानदार और चौकीदार हमारी लाशों पर कब तक सियासत करेंगे? अगर आप जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाएंगे तो दुकानदारी नहीं चलेगी, चौकीदार बदल जाएगा, तीसरा मोर्चा चलेगा।”

गौरव गोगोई ने पेश किया था प्रस्ताव

अविश्वास प्रस्ताव कांग्रेस के गौरव गोगोई ने मंगलवार को निचले सदन में पेश किया था। चर्चा की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा था कि विपक्षी गठबंधन इंडिया मणिपुर मुद्दे पर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लेकर आया है क्योंकि राज्य न्याय की मांग कर रहा है। उन्होंने सवाल उठाया था कि प्रधानमंत्री मोदी अब तक मणिपुर क्यों नहीं गए? उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह पर राज्य में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह से विफल रहने का भी आरोप लगाया। लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान बुधवार को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने केंद्र व मणिपुर सरकार पर विफल होने का आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री इसलिए मणिुपर नहीं गए क्योंकि वह पूर्वोत्तर के इस राज्य को देश का हिस्सा नहीं समझते।

अमित शाह ने की शांति बहाली की अपील

चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों का विस्तृत जवाब दिया और सदन में एक प्रस्ताव के माध्यम से मणिपुर में सभी पक्षों से शांति बहाल करने और वार्ता की अपील की। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से आग्रह किया कि मणिपुर में शांति बहाली के लिए इस सदन की ओर से अपील होनी चाहिए। शाह ने सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए मणिपुर के मुद्दे पर सरकार की ओर से की गई कार्रवाई का विस्तृत विवरण दिया और अपने भाषण के अंत में अध्यक्ष बिरला से प्रस्ताव पारित करने का आग्रह किया। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया। हालांकि, इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने मांग की कि यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री मोदी की ओर से आता तो अच्छा होता।

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